बमेर पोतन्न: Difference between revisions

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[[चित्र:Bammera-Pothana.jpg|thumb|200px|बम्मेरा पोतना]]
'''बमेर पोतन्न''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bammera Potana'', जन्म- 1450, ज़िला [[वारंगल]],  [[आंध्र प्रदेश]]; मृत्यु-1510) [[तेलुगु भाषा]] के प्रसिद्ध [[कवि]]  तथा रामभक्त थे। आंध्र प्रदेश में पोतन्न की कृतियों का आज भी बड़ा प्रचार है।<ref name="a">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=481|url=}}</ref>
'''बमेर पोतन्न''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bammera Potana'', जन्म- 1450, ज़िला [[वारंगल]],  [[आंध्र प्रदेश]]; मृत्यु-1510) [[तेलुगु भाषा]] के प्रसिद्ध [[कवि]]  तथा रामभक्त थे। आंध्र प्रदेश में पोतन्न की कृतियों का आज भी बड़ा प्रचार है।<ref name="a">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=481|url=}}</ref>
==जन्म==
==जन्म==
तेलगु भाषा के प्रसिद्ध कवि का  जन्म 1450 ई. में  ज़िला वारंगल, आंध्र प्रदेश में हुआ था। ये  श्री [[राम]] के अनन्य भक्त थे।
तेलगु भाषा के प्रसिद्ध कवि का  जन्म 1450 ई. में  ज़िला वारंगल, आंध्र प्रदेश में हुआ था। ये  श्री [[राम]] के अनन्य भक्त थे।
==कृति  श्री राम को समर्पित==
==श्रीराम को समर्पित कृति==
पोतन्न ने [[भागवत]] का अपनी भाषा में काव्यानुवाद किया और अपनी कृति राम को ही समर्पित की थी। वह समय राजकवियों का था। वे दरबारों में रहते और अपनी रचनाएं आश्रयदाता राजाओं को समर्पित करते थे। अपने सबंधी और 'कवि सार्वभौम' के उपाधिकारी श्री नाथ के आग्रह पर पोतन्न ने अपनी कृति किसी राजा को समर्पित नहीं की थी। ये लोग राजाश्रय को घृणा की दृष्टि से देखते थे। बमेर पोतन्न ने महाभागवतपुराण का अनुवाद अत्यंत सुचारु रूप से प्रसादगुण युक्त शैली में किया था। बमेर पोतन्न ने भगवान की सेवा में दरिद्रता का जीवन बिताना स्वीकार किया था। इन्होंने [[सरस्वती देवी]]  से कहा था- ''माता दु;खी न हो। (अपने ग्रंथ को) किसी राजा के हाथ बेचूँगा नहीं।''
पोतन्न ने [[भागवत]] का अपनी भाषा में काव्यानुवाद किया और अपनी कृति राम को ही समर्पित की थी। वह समय राजकवियों का था। वे दरबारों में रहते और अपनी रचनाएं आश्रयदाता राजाओं को समर्पित करते थे। अपने सबंधी और 'कवि सार्वभौम' के उपाधिकारी श्री नाथ के आग्रह पर पोतन्न ने अपनी कृति किसी राजा को समर्पित नहीं की थी। ये लोग राजाश्रय को घृणा की दृष्टि से देखते थे। बमेर पोतन्न ने महाभागवतपुराण का अनुवाद अत्यंत सुचारु रूप से प्रसादगुण युक्त शैली में किया था। बमेर पोतन्न ने भगवान की सेवा में दरिद्रता का जीवन बिताना स्वीकार किया था। इन्होंने [[सरस्वती देवी]]  से कहा था- ''माता दु;खी न हो। (अपने ग्रंथ को) किसी राजा के हाथ बेचूँगा नहीं।''
== महत्वपूर्ण कृतियाँ==
== महत्वपूर्ण कृतियाँ==

Latest revision as of 09:53, 3 September 2020

thumb|200px|बम्मेरा पोतना बमेर पोतन्न (अंग्रेज़ी: Bammera Potana, जन्म- 1450, ज़िला वारंगल, आंध्र प्रदेश; मृत्यु-1510) तेलुगु भाषा के प्रसिद्ध कवि तथा रामभक्त थे। आंध्र प्रदेश में पोतन्न की कृतियों का आज भी बड़ा प्रचार है।[1]

जन्म

तेलगु भाषा के प्रसिद्ध कवि का जन्म 1450 ई. में ज़िला वारंगल, आंध्र प्रदेश में हुआ था। ये श्री राम के अनन्य भक्त थे।

श्रीराम को समर्पित कृति

पोतन्न ने भागवत का अपनी भाषा में काव्यानुवाद किया और अपनी कृति राम को ही समर्पित की थी। वह समय राजकवियों का था। वे दरबारों में रहते और अपनी रचनाएं आश्रयदाता राजाओं को समर्पित करते थे। अपने सबंधी और 'कवि सार्वभौम' के उपाधिकारी श्री नाथ के आग्रह पर पोतन्न ने अपनी कृति किसी राजा को समर्पित नहीं की थी। ये लोग राजाश्रय को घृणा की दृष्टि से देखते थे। बमेर पोतन्न ने महाभागवतपुराण का अनुवाद अत्यंत सुचारु रूप से प्रसादगुण युक्त शैली में किया था। बमेर पोतन्न ने भगवान की सेवा में दरिद्रता का जीवन बिताना स्वीकार किया था। इन्होंने सरस्वती देवी से कहा था- माता दु;खी न हो। (अपने ग्रंथ को) किसी राजा के हाथ बेचूँगा नहीं।

महत्वपूर्ण कृतियाँ

  1. वीरभद्रविजयमु
  2. योगिनी दंडकमु[1]

भागवत में अनुवाद

पोतन्न का संस्कृत और तेलुगु दोनों भाषाओं पर पूर्ण अधिकार था। इसलिए भागवत के इनके अनुवाद के कई स्थल मूल से भी अधिक चमत्कारी बन गए हैं। आंध्र प्रदेश में पोतन्न की कृति का आज भी बड़ा प्रचार है। यह तेलुगु साहित्य का अत्यंत लोकप्रिय ग्रंथ हैं। पोतन्न सूरदास के समान भक्त कवि थे। इस युग में श्रीनाथ आदि कवियों ने संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद ही नहीं किया बल्कि मौलिक ग्रंथों की रचना भी की थी। कुछ कवियों ने संस्कृत नाटकों का काव्यानुवाद किया। पोतन्न तेलुगु के भक्त कवियों की अग्रश्रेणी में हैं।

निधन

बमेर पोतन्न का निधन 1510 ई. में हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 481 |

Bammera Potana

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