कृतवीर्य: Difference between revisions

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कृतवीर्य के पुत्र अर्जुन थे। कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें [[कार्तवीर्य अर्जुन]] भी कहा गया। कार्त्तवीर्याजुन भारतीय इतिहास एवं हैह्यवंश के एक अत्यंत उल्लेखनीय एवं प्रतापी शासक सिद्ध हुए। महाराज कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) जी का जन्म कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रावण नक्षत्र में प्रात: काल के मुहूर्त में हुआ था। पौराणिक ग्रंथो में कार्तवीर्य अजुर्न के अनेक नाम अंकित है जैसे सहस्त्रार्जुन, कृतवीर्य, नन्दन, राजेश्वर, हैहयाधिपति, दषग्रीविजयी, सुदर्शन, चक्रावतार, सप्तद्वीपाधि आदि।
कृतवीर्य के पुत्र अर्जुन थे। कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें [[कार्तवीर्य अर्जुन]] भी कहा गया। कार्त्तवीर्याजुन भारतीय इतिहास एवं हैह्यवंश के एक अत्यंत उल्लेखनीय एवं प्रतापी शासक सिद्ध हुए। महाराज कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) जी का जन्म कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रावण नक्षत्र में प्रात: काल के मुहूर्त में हुआ था। पौराणिक ग्रंथो में कार्तवीर्य अजुर्न के अनेक नाम अंकित है जैसे सहस्त्रार्जुन, कृतवीर्य, नन्दन, राजेश्वर, हैहयाधिपति, दषग्रीविजयी, सुदर्शन, चक्रावतार, सप्तद्वीपाधि आदि।
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Revision as of 07:11, 27 March 2010

कृतवीर्य / Kritvirya

कृतवीर्य पुण्यवान प्रतापी राजा थे और अपने समकालीन राजाओ मे वे सर्वश्रेष्ठ राजा माने जाते थे। इनकी रानी का नाम कौशिक था। राजा कनक के चार सुविख्यात पुत्र कृतवीर्य, कृतौजा, कृतवर्मा और कृताग्नि हुये। राजा कनक के ज्येष्ठ पुत्र कृतवीर्य उनके पश्चात राज्य के उत्तराधिकारी बने। यह एक शिष्ट एवं सौम्य नृपति थे। भार्गव वंशी ब्राह्मण इनके राज पुरोहित थे। भार्गव नेता जमदाग्नि ॠषि से इनके मधुर संबंध थे। कृतवीर्य ने उन्हें कपिला नामक धेनु दान में दी थी।

कृतवीर्य के पुत्र अर्जुन थे। कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें कार्तवीर्य अर्जुन भी कहा गया। कार्त्तवीर्याजुन भारतीय इतिहास एवं हैह्यवंश के एक अत्यंत उल्लेखनीय एवं प्रतापी शासक सिद्ध हुए। महाराज कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) जी का जन्म कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रावण नक्षत्र में प्रात: काल के मुहूर्त में हुआ था। पौराणिक ग्रंथो में कार्तवीर्य अजुर्न के अनेक नाम अंकित है जैसे सहस्त्रार्जुन, कृतवीर्य, नन्दन, राजेश्वर, हैहयाधिपति, दषग्रीविजयी, सुदर्शन, चक्रावतार, सप्तद्वीपाधि आदि।