श्यामा चरण पति: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''श्यामा चरण पति''' (अंग्रेज़ी: ''Shyama Charan Pati'', जन्म- 1940; मृ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 8: Line 8:
*वर्ष [[2006]] में इन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान [[पद्म श्री]] से इंडियन डांस में श्रेष्ठ योगदान के लिए सम्मानित किया गया था।
*वर्ष [[2006]] में इन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान [[पद्म श्री]] से इंडियन डांस में श्रेष्ठ योगदान के लिए सम्मानित किया गया था।
*इन्हें [[छऊ नृत्य]] में महिलाओं के प्रवेश कराने में विशेष योगदान के लिए भी याद किया जाता है। इनकी पुत्री सुष्मिता पति एक बेहतर छऊ कलाकार है।
*इन्हें [[छऊ नृत्य]] में महिलाओं के प्रवेश कराने में विशेष योगदान के लिए भी याद किया जाता है। इनकी पुत्री सुष्मिता पति एक बेहतर छऊ कलाकार है।
*श्यामा चरण पति [[कला]] और [[संस्कृति]] के प्रेमी थे। पैतृक गांव के निवासी बताते हैं कि हर वर्ष गुरु श्यामा चरण पति ईचा गांव में [[दुर्गा पूजा]] और [[रामनवमी]] के अवसर पर विशेष रूप से पहुंचते थे और उक्त त्योहारों के अवसर पर छऊ नृत्य का आयोजन कराते थे। इसके साथ ही छऊ नृत्य कला के संवर्धन के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे।
*श्यामा चरण पति [[कला]] और [[संस्कृति]] के प्रेमी थे। पैतृक गांव के निवासी बताते हैं कि हर वर्ष गुरु श्यामा चरण पति ईचा गांव में दुर्गा पूजा और [[रामनवमी]] के अवसर पर विशेष रूप से पहुंचते थे और उक्त त्योहारों के अवसर पर छऊ नृत्य का आयोजन कराते थे। इसके साथ ही छऊ नृत्य कला के संवर्धन के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे।
*श्यामा चरण पति का छऊ नृत्य सफर 250 साल पहले सरायकेला-खरसावां से शुरू हुआ था। तब सिर्फ राजा की छावनी में यह नृत्य होता था, इसलिए इसका नाम छऊ नृत्य पड़ा। समय के साथ धीरे-धीरे यह नृत्य देश से विदेश तक पहुंचा।  
*श्यामा चरण पति का छऊ नृत्य सफर 250 साल पहले सरायकेला-खरसावां से शुरू हुआ था। तब सिर्फ राजा की छावनी में यह नृत्य होता था, इसलिए इसका नाम छऊ नृत्य पड़ा। समय के साथ धीरे-धीरे यह नृत्य देश से विदेश तक पहुंचा।  
*पद्म श्री गुरु श्यामा चरण पति [[छऊ नृत्य]] को पाठ्यक्रम में शामिल कराना चाहते थे।
*पद्म श्री गुरु श्यामा चरण पति [[छऊ नृत्य]] को पाठ्यक्रम में शामिल कराना चाहते थे।
Line 16: Line 16:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{पद्म श्री}}
{{पद्मश्री}}
[[Category:लोक कलाकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:पद्म श्री]][[Category:पद्म श्री (2006)]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:कला कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
[[Category:लोक कलाकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:पद्म श्री]][[Category:पद्म श्री (2006)]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:कला कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 10:48, 30 December 2021

श्यामा चरण पति (अंग्रेज़ी: Shyama Charan Pati, जन्म- 1940; मृत्यु- 29 अक्टूबर, 2020) देश-दुनिया में छऊ नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले नर्तक हैं। सरायकेला-खरसावां जैसे छोटे जिले को छऊ नृत्य के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले पं. श्यामा चरण पति को वर्ष 2006 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने सुजाता माहेश्वरी व शोभनब्रत सिरकार जैसे कई छात्रों को प्रशिक्षित किया, जिन्होंने भारत के अलावा विभिन्न देशों में छऊ नृत्य का प्रदर्शन किया। श्यामा चरण पति की पुत्री सुष्मिता पति भी छऊ नृत्यांगना हैं।

  • ईचा गांव के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में 1940 में श्यामा चरण पति का जन्म हुआ था।
  • इसके बाद जमशेदपुर में रहकर उन्होंने गुरु बन बिहारी आचार्य से कत्थक और भरतनाट्यम की शिक्षा हासिल की।
  • बाद में पंचानन सिंहदेव और तारिणी प्रसाद सिंहदेव जैसे गुरुओं से छऊ नृत्य कला की विधिवत शिक्षा ली।
  • श्यामा चरण पति ने सुजाता माहेश्वरी और शोभानाव्रत सिरकर जैसे कई शिष्यों को छऊ नृत्य कला की शिक्षा भी दी।
  • देश सहित विदेशों में भी विभिन्न मंचों से उन्होंने छऊ नृत्य कला का प्रदर्शन कर ख्याति हासिल की थी।
  • वर्ष 2006 में इन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से इंडियन डांस में श्रेष्ठ योगदान के लिए सम्मानित किया गया था।
  • इन्हें छऊ नृत्य में महिलाओं के प्रवेश कराने में विशेष योगदान के लिए भी याद किया जाता है। इनकी पुत्री सुष्मिता पति एक बेहतर छऊ कलाकार है।
  • श्यामा चरण पति कला और संस्कृति के प्रेमी थे। पैतृक गांव के निवासी बताते हैं कि हर वर्ष गुरु श्यामा चरण पति ईचा गांव में दुर्गा पूजा और रामनवमी के अवसर पर विशेष रूप से पहुंचते थे और उक्त त्योहारों के अवसर पर छऊ नृत्य का आयोजन कराते थे। इसके साथ ही छऊ नृत्य कला के संवर्धन के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे।
  • श्यामा चरण पति का छऊ नृत्य सफर 250 साल पहले सरायकेला-खरसावां से शुरू हुआ था। तब सिर्फ राजा की छावनी में यह नृत्य होता था, इसलिए इसका नाम छऊ नृत्य पड़ा। समय के साथ धीरे-धीरे यह नृत्य देश से विदेश तक पहुंचा।
  • पद्म श्री गुरु श्यामा चरण पति छऊ नृत्य को पाठ्यक्रम में शामिल कराना चाहते थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख