महीशासक निकाय: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "Category:दर्शन" to "") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[बौद्ध धर्म]] में महीशासक निकाय [[अठारह बौद्ध निकाय|अठारह निकायों]] में से एक है:-<br /> | [[बौद्ध धर्म]] में महीशासक निकाय [[अठारह बौद्ध निकाय|अठारह निकायों]] में से एक है:-<br /> | ||
प्रिलुस्की महोदय के अनुसार ये लोग स्थविर पुराण के अनुयायी थे। ज्ञात है कि पुराण वही स्थविर है, जो [[राजगृह]] में जब प्रथम संगीति हो रही थी, तब दक्षिणगिरि से चारिका करते हुए पाँच सौ भिक्षुओं के साथ वहीं (राजगृह में) ठहरे हुए थे। संगीतिकारक भिक्षुओं ने उनसे संगीति में सम्मिलित होने क निवेदन किया, किन्तु उन्होंने उनके कार्य की प्रशंसा करते हुए भी उसमें भाग लेने से इन्कार कर दिया और कहा कि मैंने भगवान के मुंह से जैसा सुना है, उसी का अनुसरण करूंगा। | प्रिलुस्की महोदय के अनुसार ये लोग स्थविर पुराण के अनुयायी थे। ज्ञात है कि पुराण वही स्थविर है, जो [[राजगृह]] में जब प्रथम संगीति हो रही थी, तब दक्षिणगिरि से चारिका करते हुए पाँच सौ भिक्षुओं के साथ वहीं (राजगृह में) ठहरे हुए थे। संगीतिकारक भिक्षुओं ने उनसे संगीति में सम्मिलित होने क निवेदन किया, किन्तु उन्होंने उनके कार्य की प्रशंसा करते हुए भी उसमें भाग लेने से इन्कार कर दिया और कहा कि मैंने भगवान के मुंह से जैसा सुना है, उसी का अनुसरण करूंगा। | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{अठारह बौद्ध निकाय}} | {{अठारह बौद्ध निकाय}} | ||
[[Category:दर्शन कोश]] [[Category:बौद्ध दर्शन]] [[Category:बौद्ध धर्म]] [[Category:बौद्ध धर्म कोश]]__INDEX__ | [[Category:दर्शन कोश]] [[Category:बौद्ध दर्शन]] [[Category:बौद्ध धर्म]] [[Category:बौद्ध धर्म कोश]]__INDEX__ |
Revision as of 17:24, 14 September 2010
बौद्ध धर्म में महीशासक निकाय अठारह निकायों में से एक है:-
प्रिलुस्की महोदय के अनुसार ये लोग स्थविर पुराण के अनुयायी थे। ज्ञात है कि पुराण वही स्थविर है, जो राजगृह में जब प्रथम संगीति हो रही थी, तब दक्षिणगिरि से चारिका करते हुए पाँच सौ भिक्षुओं के साथ वहीं (राजगृह में) ठहरे हुए थे। संगीतिकारक भिक्षुओं ने उनसे संगीति में सम्मिलित होने क निवेदन किया, किन्तु उन्होंने उनके कार्य की प्रशंसा करते हुए भी उसमें भाग लेने से इन्कार कर दिया और कहा कि मैंने भगवान के मुंह से जैसा सुना है, उसी का अनुसरण करूंगा।