ख़लील धनतेजवि: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
ख़लील धनतेजवी का जन्म वडोदरा जिले के धनतेज गांव में 12 दिसंबर, 1938 को हुआ था। गांव के नाम पर ही उन्हें धनतेजवी की पहचान मिली। दादा ताज मोहम्मद ने उनका नाम रखा था ख़लील। ख़लील का अर्थ होता है 'दोस्त'। पांच साल की उम्र में ही ख़लील के [[पिता]] का निधन हो गया था। उनका जीवन संघर्षमय रहा। उनकी सबसे मशहूर गजल है- 'अब मैं राशन की कतारों में नजर आता हूं, अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं'। इसे गजल गायक [[जगजीत सिंह]] ने गाया था।
ख़लील धनतेजवी का जन्म वडोदरा जिले के धनतेज गांव में 12 दिसंबर, 1938 को हुआ था। गांव के नाम पर ही उन्हें धनतेजवी की पहचान मिली। दादा ताज मोहम्मद ने उनका नाम रखा था ख़लील। ख़लील का अर्थ होता है 'दोस्त'। पांच साल की उम्र में ही ख़लील के [[पिता]] का निधन हो गया था। उनका जीवन संघर्षमय रहा। उनकी सबसे मशहूर गजल है- 'अब मैं राशन की कतारों में नजर आता हूं, अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं'। इसे गजल गायक [[जगजीत सिंह]] ने गाया था।

Latest revision as of 05:42, 8 June 2022

ख़लील धनतेजवि
पूरा नाम ख़लील धनतेजवि
जन्म 12 दिसम्बर, 1938
जन्म भूमि धनतेज गांव, वडोदरा, गुजरात
मृत्यु 4 अप्रॅल, 2021
मृत्यु स्थान वडोदरा, गुजरात
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र ग़ज़ल गयकी
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2022

वली गुजराती गजल पुरस्कार, 2013
नरसिंह मेहता पुरस्कार, 2019

प्रसिद्धि कवि, ग़ज़लकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी ख़लील धनतेजवी शुरुआत में अपने दिमाग में ही गज़लें रखते हुए अपने दोस्तों को ग़ज़ल के पाठ पढ़ाते थे। याद रखने की उनकी यह शक्ति बुढ़ापे में भी मुशायरों में बनी रही।
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ख़लील धनतेजवि (अंग्रेज़ी: Khalil Dhantejvi, जन्म- 12 दिसम्बर, 1938; मृत्यु- 4 अप्रॅल, 2021) गुजरात के प्रसिद्ध कवि ग़ज़लकार थे। उनका नाम उनके अभिभावकों ने 'ख़लील इस्माइल' रखा था, लेकिन वडोदरा के धनतेज गांव से होने की वजह से उन्होंने अपने नाम में ‘धनतेजवी’ उपनाम जोड़ लिया था। कविता और ग़ज़ल लिखने के लिए विख्यात धनतेजवी को लोग मुशायरों में खूब पसंद करते थे। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी।

परिचय

ख़लील धनतेजवी का जन्म वडोदरा जिले के धनतेज गांव में 12 दिसंबर, 1938 को हुआ था। गांव के नाम पर ही उन्हें धनतेजवी की पहचान मिली। दादा ताज मोहम्मद ने उनका नाम रखा था ख़लील। ख़लील का अर्थ होता है 'दोस्त'। पांच साल की उम्र में ही ख़लील के पिता का निधन हो गया था। उनका जीवन संघर्षमय रहा। उनकी सबसे मशहूर गजल है- 'अब मैं राशन की कतारों में नजर आता हूं, अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं'। इसे गजल गायक जगजीत सिंह ने गाया था।

सम्मान व पुरस्कार

ख़लील धनतेजवी साहित्य के साथ-साथ पत्रकारिता, प्रिंटिंग प्रेस और फिल्म उद्योग से भी जुड़े थे। उन्हें वर्ष 2004 में कलापी और 2013 में वली गुजराती गजल पुरस्कार मिला था। वर्ष 2019 में नरसिंह मेहता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ख़लील धनतेजवी के पहले गजल संग्रह में 100 से अधिक ग़ज़ल थीं। उनकी ग़ज़ल को जगजीत सिंह ने भी गया।

बेहतर स्मरण शक्ति

ख़लील धनतेजवी शुरुआत में अपने दिमाग में ही गज़लें रखते हुए अपने दोस्तों को ग़ज़ल के पाठ पढ़ाते थे। याद रखने की उनकी यह शक्ति बुढ़ापे में भी मुशायरों में बनी रही। उनके पहले ग़ज़ल संग्रह में 100 से अधिक ग़ज़लें शामिल थीं। ख़लील धनतेजवी की ग़ज़लों के संग्रह में सादगी, सारांश और सरोवर शामिल हैं।

मृत्यु

ख़लील धनतेजवि की मृत्यु 4 अप्रॅल, 2021 को बड़ोदरा, गुजरात में हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दु:ख व्यक्त करते हुए एक ट्वीट में कहा था, "प्रसिद्ध गुजराती कवि, लेखक और गजलकार ख़लील धनतेजवी के निधन की खबर सुनकर बेहद दु:ख हुआ। गुजराती गजल को दिलचस्प बनाने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवादनाएं।"


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