सम्मितीय निकाय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "Category:दर्शन" to "")
m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
Line 1: Line 1:
[[बौद्ध धर्म]] में सम्मितीय निकाय [[अठारह बौद्ध निकाय|अठारह निकायों]] में से एक है:-<br />
[[बौद्ध धर्म]] में सम्मितीय निकाय [[अठारह बौद्ध निकाय|अठारह निकायों]] में से एक है:-<br />
इस निकाय के प्रवर्तक आर्य महाकात्यायन माने जाते हैं। ये वे ही आचार्य हैं, जिन्होंने दक्षिणापथ (अवन्ती) में सर्वप्रथम सद्धर्म की स्थापना की। उस प्रदेश के निवासियों के आचार में बहुत भिन्नता देखकर विनय के नियमों में कुछ संशोधनों का भी इन्होंने सुझाव रखा था। इसी निकाय से आवन्तक और कुरुकुल्लक निकाय विकसित हुए। कभी-कभी सम्मितीयों का संग्रह वात्सीपुत्रीयों में और कभी वात्सीपुत्रीयों का संग्रह सम्मितीयों में भी देखा जाता है। इसका कारण उनके समान सिद्धान्त हो सकते हैं।  
इस निकाय के प्रवर्तक आर्य महाकात्यायन माने जाते हैं। ये वे ही आचार्य हैं, जिन्होंने दक्षिणापथ (अवन्ती) में सर्वप्रथम सद्धर्म की स्थापना की। उस प्रदेश के निवासियों के आचार में बहुत भिन्नता देखकर विनय के नियमों में कुछ संशोधनों का भी इन्होंने सुझाव रखा था। इसी निकाय से आवन्तक और कुरुकुल्लक निकाय विकसित हुए। कभी-कभी सम्मितीयों का संग्रह वात्सीपुत्रीयों में और कभी वात्सीपुत्रीयों का संग्रह सम्मितीयों में भी देखा जाता है। इसका कारण उनके समान सिद्धान्त हो सकते हैं।  
==सम्बंधित लिंक==
==संबंधित लेख==
{{अठारह बौद्ध निकाय}}
{{अठारह बौद्ध निकाय}}
[[Category:दर्शन कोश]] [[Category:बौद्ध दर्शन]]  [[Category:बौद्ध धर्म]]    [[Category:बौद्ध धर्म कोश]]__INDEX__
[[Category:दर्शन कोश]] [[Category:बौद्ध दर्शन]]  [[Category:बौद्ध धर्म]]    [[Category:बौद्ध धर्म कोश]]__INDEX__

Revision as of 20:11, 14 September 2010

बौद्ध धर्म में सम्मितीय निकाय अठारह निकायों में से एक है:-
इस निकाय के प्रवर्तक आर्य महाकात्यायन माने जाते हैं। ये वे ही आचार्य हैं, जिन्होंने दक्षिणापथ (अवन्ती) में सर्वप्रथम सद्धर्म की स्थापना की। उस प्रदेश के निवासियों के आचार में बहुत भिन्नता देखकर विनय के नियमों में कुछ संशोधनों का भी इन्होंने सुझाव रखा था। इसी निकाय से आवन्तक और कुरुकुल्लक निकाय विकसित हुए। कभी-कभी सम्मितीयों का संग्रह वात्सीपुत्रीयों में और कभी वात्सीपुत्रीयों का संग्रह सम्मितीयों में भी देखा जाता है। इसका कारण उनके समान सिद्धान्त हो सकते हैं।

संबंधित लेख