अब्राहम क्लार्क: Difference between revisions

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'''अब्राहम कलार्क''' (1726-1764 ई.) अमरीकी देशभक्त जिसने स्वतंत्रता के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। उसका जन्म 15 फरवरी 1726 को न्यूजर्सी के इलिजबेथ टाउन नामक कस्बे में हुआ था। गणित और दीवानी कानून की शिक्षा प्राप्त कर उसने भू-मापन और भू-विक्रय का धंधा आरंभ किया। वकालत उसके पेशे का विषय नहीं था तथापि वह अपने पड़ोसियों को मुफ्त कानूनी सलाह देता रहता था जिसके कारण लोगों के बीच वह ‘गरीबों का सलाहकार’ कहा जाने लगा। न्यूजर्सी के उपनिवेश असेंबली में वह लेखक बना; बाद में वह इसेक्स का हाइ शेरिफ नियुक्त हुआ। ह्विग दल का सक्रिय सदस्य होने के कारण वह अपने प्रांत की जनरक्षक कमेटियों का सदस्य रहा। जून, 1776 में वह कांग्रेस के लिये प्रतिनिधि चुना गया और इंग्लैंड से विलग होने के पक्ष में उसने मत दिया तथा स्वतंत्रता के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। उसके बाद वह आठ बार कांग्रेस का सदस्य निर्वाचित हुआ।
'''अब्राहम कलार्क''' ([[1726]]-[[1764]] ई.) अमरीकी देशभक्त जिसने स्वतंत्रता के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। उसका जन्म [[15 फरवरी]] 1726 को न्यूजर्सी के इलिजबेथ टाउन नामक क़स्बे में हुआ था। गणित और दीवानी कानून की शिक्षा प्राप्त कर उसने भू-मापन और भू-विक्रय का धंधा आरंभ किया। वकालत उसके पेशे का विषय नहीं था तथापि वह अपने पड़ोसियों को मुफ्त कानूनी सलाह देता रहता था जिसके कारण लोगों के बीच वह ‘गरीबों का सलाहकार’ कहा जाने लगा। न्यूजर्सी के उपनिवेश असेंबली में वह लेखक बना; बाद में वह इसेक्स का हाइ शेरिफ नियुक्त हुआ। ह्विग दल का सक्रिय सदस्य होने के कारण वह अपने प्रांत की जनरक्षक कमेटियों का सदस्य रहा। जून, 1776 में वह कांग्रेस के लिये प्रतिनिधि चुना गया और इंग्लैंड से विलग होने के पक्ष में उसने मत दिया तथा स्वतंत्रता के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। उसके बाद वह आठ बार कांग्रेस का सदस्य निर्वाचित हुआ।


1887 में फलाडेल्फिया में संविधान बनाने के लिये जो कन्वेंशन हुआ उसमें वह प्रतिनिधि था किंतु अस्वस्थ होने के कारण वह उसमें भाग न ले सका। 2 जुलाई, 1788 को उसने कांग्रेस में संघ संविधान लागू करने का प्रस्ताव उपस्थित किया जो पारित हुआ। राज्य विधान सभा ने 1789-90 में न्यूजर्सी के उस ऋण के निबटारे के लिये, जो क्रांति के समय लिए गए थे उसे कमिश्नर बनाया। दूसरी बार 1794 में कांग्रेस में निर्वाचित होने तक वह इस कार्य को करता रहा । 15 सितंबर, 1794 को अपनी जन्मभूमि में ही उसकी मृत्यु हुई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=233 |url=}}</ref>  
1887 में फलाडेल्फिया में संविधान बनाने के लिये जो कन्वेंशन हुआ उसमें वह प्रतिनिधि था किंतु अस्वस्थ होने के कारण वह उसमें भाग न ले सका। 2 जुलाई, 1788 को उसने कांग्रेस में संघ संविधान लागू करने का प्रस्ताव उपस्थित किया जो पारित हुआ। राज्य विधान सभा ने 1789-90 में न्यूजर्सी के उस ऋण के निबटारे के लिये, जो क्रांति के समय लिए गए थे उसे कमिश्नर बनाया। दूसरी बार 1794 में कांग्रेस में निर्वाचित होने तक वह इस कार्य को करता रहा । 15 सितंबर, 1794 को अपनी जन्मभूमि में ही उसकी मृत्यु हुई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=233 |url=}}</ref>  

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अब्राहम कलार्क (1726-1764 ई.) अमरीकी देशभक्त जिसने स्वतंत्रता के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। उसका जन्म 15 फरवरी 1726 को न्यूजर्सी के इलिजबेथ टाउन नामक क़स्बे में हुआ था। गणित और दीवानी कानून की शिक्षा प्राप्त कर उसने भू-मापन और भू-विक्रय का धंधा आरंभ किया। वकालत उसके पेशे का विषय नहीं था तथापि वह अपने पड़ोसियों को मुफ्त कानूनी सलाह देता रहता था जिसके कारण लोगों के बीच वह ‘गरीबों का सलाहकार’ कहा जाने लगा। न्यूजर्सी के उपनिवेश असेंबली में वह लेखक बना; बाद में वह इसेक्स का हाइ शेरिफ नियुक्त हुआ। ह्विग दल का सक्रिय सदस्य होने के कारण वह अपने प्रांत की जनरक्षक कमेटियों का सदस्य रहा। जून, 1776 में वह कांग्रेस के लिये प्रतिनिधि चुना गया और इंग्लैंड से विलग होने के पक्ष में उसने मत दिया तथा स्वतंत्रता के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। उसके बाद वह आठ बार कांग्रेस का सदस्य निर्वाचित हुआ।

1887 में फलाडेल्फिया में संविधान बनाने के लिये जो कन्वेंशन हुआ उसमें वह प्रतिनिधि था किंतु अस्वस्थ होने के कारण वह उसमें भाग न ले सका। 2 जुलाई, 1788 को उसने कांग्रेस में संघ संविधान लागू करने का प्रस्ताव उपस्थित किया जो पारित हुआ। राज्य विधान सभा ने 1789-90 में न्यूजर्सी के उस ऋण के निबटारे के लिये, जो क्रांति के समय लिए गए थे उसे कमिश्नर बनाया। दूसरी बार 1794 में कांग्रेस में निर्वाचित होने तक वह इस कार्य को करता रहा । 15 सितंबर, 1794 को अपनी जन्मभूमि में ही उसकी मृत्यु हुई।[1]




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 233 |

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