विस्थापन: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
किसी विशेष दिशा में गतिशील वस्तु की स्थिति परिवर्तन को उसका विस्थापन कहते हैं। विस्थापन एक [[सदिश राशि]] है। ज्ञातव्य है कि [[दूरी]] व विस्थापन में मुख्य अन्तर यह है कि वस्तु का विस्थापन धनात्मक, ऋणात्मक व शून्य भी हो सकता है, परन्तु दूरी सदैव धनात्मक होती है। जैसे हम किसी पत्थर को पृथ्वी से पाँच मीटर की ऊँचाई तक फेंकते हैं तथा पत्थर पुनः अपने स्थान पर वापस लौट आता है। इस दशा में पत्थर का विस्थापन तो शून्य होगा, परन्तु उसके द्वारा चली दूरी दस मीटर होगी। | ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Displacement) किसी विशेष दिशा में गतिशील वस्तु की स्थिति परिवर्तन को उसका विस्थापन कहते हैं। विस्थापन एक [[सदिश राशि]] है। ज्ञातव्य है कि [[दूरी]] व विस्थापन में मुख्य अन्तर यह है कि वस्तु का विस्थापन धनात्मक, ऋणात्मक व शून्य भी हो सकता है, परन्तु दूरी सदैव धनात्मक होती है। जैसे हम किसी पत्थर को पृथ्वी से पाँच मीटर की ऊँचाई तक फेंकते हैं तथा पत्थर पुनः अपने स्थान पर वापस लौट आता है। इस दशा में पत्थर का विस्थापन तो शून्य होगा, परन्तु उसके द्वारा चली दूरी दस मीटर होगी। | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति |
Revision as of 10:51, 15 September 2010
(अंग्रेज़ी:Displacement) किसी विशेष दिशा में गतिशील वस्तु की स्थिति परिवर्तन को उसका विस्थापन कहते हैं। विस्थापन एक सदिश राशि है। ज्ञातव्य है कि दूरी व विस्थापन में मुख्य अन्तर यह है कि वस्तु का विस्थापन धनात्मक, ऋणात्मक व शून्य भी हो सकता है, परन्तु दूरी सदैव धनात्मक होती है। जैसे हम किसी पत्थर को पृथ्वी से पाँच मीटर की ऊँचाई तक फेंकते हैं तथा पत्थर पुनः अपने स्थान पर वापस लौट आता है। इस दशा में पत्थर का विस्थापन तो शून्य होगा, परन्तु उसके द्वारा चली दूरी दस मीटर होगी।
|
|
|
|
|