भूटान: Difference between revisions
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*[[भारत]] और भूटान के बीच आपसी संबध बेजोड़ सौहार्द और मैत्रीपूर्ण रहे हैं, जिनमें वर्ष के दौरान नियमित रूप से उच्च स्तरीय वार्तालाप के जरिए और भी प्रगाढ़ता आयी। भूटान के पांचवें नरेश का राज्यभिषेक भी हुआ। | *[[भारत]] और भूटान के बीच आपसी संबध बेजोड़ सौहार्द और मैत्रीपूर्ण रहे हैं, जिनमें वर्ष के दौरान नियमित रूप से उच्च स्तरीय वार्तालाप के जरिए और भी प्रगाढ़ता आयी। भूटान के पांचवें नरेश का राज्यभिषेक भी हुआ। | ||
*प्रधानमंत्री | *प्रधानमंत्री [[डा. मनमोहन सिंह]] ने 16-17 मई, 2008 के दौरान भूटान की यात्रा की, जिसमें उन्होंने लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई [[संसद]] के प्रथम अधिवेशन को संबोधित किया। इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 2020 तक भारत भूटान में पन-बिजली विकास का लक्ष्य दुगुना करेगा ताकि भूटान भारत को 10,000 मेगावाट बिजली का निर्यात कर सके। भारत और भूटान के बीच कायम किये जा रहे प्रथम रेल संपर्क के लिए भारत सरकार सहायता जारी करेगी और भूटानी विद्यार्थियों के लिए प्रतिष्ठित नेहरू-वांग्चुक स्कालरशिप की स्थापना की जाएगी। | ||
*भूटान के प्रधानमंत्री लियोन्छेन जिग्नी वाई थिन्ले ने 14-17 जुलाई 2008 की अवधि में भारत की सरकारी यात्रा की और 12-14 नवंबर, 2008 के दौरान दूसरे बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए एक बार फिर [[दिल्ली|नई दिल्ली]] आये। | *भूटान के प्रधानमंत्री लियोन्छेन जिग्नी वाई थिन्ले ने 14-17 जुलाई 2008 की अवधि में भारत की सरकारी यात्रा की और 12-14 नवंबर, 2008 के दौरान दूसरे बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए एक बार फिर [[दिल्ली|नई दिल्ली]] आये। | ||
*भारत की राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल और विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने 5-8 नवंबर 2008 की अवधि में [[नेपाल]] नरेश महामहिम जिग्में खेसर नामग्येल वांग्चुक के राज्याभिषेक क अवसर पर भूटान की सरकारी यात्रा की। | *भारत की राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल और विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने 5-8 नवंबर 2008 की अवधि में [[नेपाल]] नरेश महामहिम जिग्में खेसर नामग्येल वांग्चुक के राज्याभिषेक क अवसर पर भूटान की सरकारी यात्रा की। |
Revision as of 09:52, 22 September 2010
भूटान का ध्वज
Flag of Bhutan|thumb|250px
- भारत और भूटान के बीच आपसी संबध बेजोड़ सौहार्द और मैत्रीपूर्ण रहे हैं, जिनमें वर्ष के दौरान नियमित रूप से उच्च स्तरीय वार्तालाप के जरिए और भी प्रगाढ़ता आयी। भूटान के पांचवें नरेश का राज्यभिषेक भी हुआ।
- प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने 16-17 मई, 2008 के दौरान भूटान की यात्रा की, जिसमें उन्होंने लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई संसद के प्रथम अधिवेशन को संबोधित किया। इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 2020 तक भारत भूटान में पन-बिजली विकास का लक्ष्य दुगुना करेगा ताकि भूटान भारत को 10,000 मेगावाट बिजली का निर्यात कर सके। भारत और भूटान के बीच कायम किये जा रहे प्रथम रेल संपर्क के लिए भारत सरकार सहायता जारी करेगी और भूटानी विद्यार्थियों के लिए प्रतिष्ठित नेहरू-वांग्चुक स्कालरशिप की स्थापना की जाएगी।
- भूटान के प्रधानमंत्री लियोन्छेन जिग्नी वाई थिन्ले ने 14-17 जुलाई 2008 की अवधि में भारत की सरकारी यात्रा की और 12-14 नवंबर, 2008 के दौरान दूसरे बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए एक बार फिर नई दिल्ली आये।
- भारत की राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल और विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने 5-8 नवंबर 2008 की अवधि में नेपाल नरेश महामहिम जिग्में खेसर नामग्येल वांग्चुक के राज्याभिषेक क अवसर पर भूटान की सरकारी यात्रा की।
- भूटान ने वर्ष 2008 को पंडित जवाहर लाल नेहरू की भूटान यात्रा के स्वर्ण जयन्ती वर्ष के रूप में मनाया, जिन्होंने 1958 में भूटान की यात्रा की थी। भूटान का संसदीय शिष्टमंडल फरवरी, 2009 में भारत की यात्रा पर आया और उन्होंने भारतीय सांसदों से बातचीत की।
- भारत और भूटान के आपसी संबंध घनिष्ठ विचार-विमर्श, परिपक्वता, पूर्ण विश्वास और आपसी समझ पर आधारित हैं और वे आदर्श पड़ोसी के संबंधों का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन विषेश संबंधों की नियमित यात्राओं की परंपरा और उच्च स्तरों पर विचारों के आदान-प्रदान के जरिए और भी स्थायित्व प्रदान किया जाता है।
- मई, 2008 में भूटान में लोकतांत्रिक रूप में चुनी गई प्रथम संसद और सरकार की स्थापना के बाद भारत सरकार ने भूटान की शाही सरकार के लोकतंत्र को मजबूत बनाने में पूर्ण समर्थन और सहयोग देने का वायदा किया है।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापार और भागीदार रहा है।
- भूटान द्वारा 1960 के दशक के आरंभ में योजनाबद्ध विकास शुरू किये जाने के समय से ही भारत भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता पहुंचा रहा है।
- हाल ही में भारत सरकार ने 2020 तक भूटान में 10,000 मेगावाट पनबिजली पैदा करने का वायदा किया है ताकि वह भारत को निर्यात कर सके।
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