बालेश्वर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " भारत " to " भारत ")
m (Text replace - "यहां" to "यहाँ")
Line 8: Line 8:
अन्य आर्थिक गतिविधियों में धान की कुटाई, बिजली का सामान, बुनाई, हस्तशिल्प और मत्स्य संसाधन शामिल हैं। हाल में स्थापित इस्पात की मिश्र धातुओं, कागज व चीनी मिट्टी का उत्पादन और पत्थर की कटाई व गैस भरने जैसे उद्योगो ने बालेश्वर की समृद्धि को बढ़ाया हैं। बालेश्वर के लाख के खिलौने, रेमुना के पीतल के बर्तन का काम और नीलगिरि में पत्थर पर नक्काशी का काम विख्यात हैं।  
अन्य आर्थिक गतिविधियों में धान की कुटाई, बिजली का सामान, बुनाई, हस्तशिल्प और मत्स्य संसाधन शामिल हैं। हाल में स्थापित इस्पात की मिश्र धातुओं, कागज व चीनी मिट्टी का उत्पादन और पत्थर की कटाई व गैस भरने जैसे उद्योगो ने बालेश्वर की समृद्धि को बढ़ाया हैं। बालेश्वर के लाख के खिलौने, रेमुना के पीतल के बर्तन का काम और नीलगिरि में पत्थर पर नक्काशी का काम विख्यात हैं।  
==शिक्षण संस्थान==
==शिक्षण संस्थान==
यहां एफ.एम. कॉलेज और उपेन्द्रनाथ कॉलेज समेत कई महाविद्यालय हैं, जो उत्कल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।  
यहाँ एफ.एम. कॉलेज और उपेन्द्रनाथ कॉलेज समेत कई महाविद्यालय हैं, जो उत्कल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।  
==पर्यटन==
==पर्यटन==
लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में चांदीपुर बीच, पंचलिंगेश्वर, बूढ़ा बलंग के नदी के समुद्र में मिलने का स्थल, बलरामगढ़ी और एक मध्ययुगीन दुर्ग चंदबली शामिल हैं।  
लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में चांदीपुर बीच, पंचलिंगेश्वर, बूढ़ा बलंग के नदी के समुद्र में मिलने का स्थल, बलरामगढ़ी और एक मध्ययुगीन दुर्ग चंदबली शामिल हैं।  

Revision as of 11:37, 26 September 2010

स्थिति

पूर्वी भारत के उड़ीसा राज्य का पूर्वोत्तर में बालासोर कहलाने वाला नगर है। बालेश्वर बंगाल की खाड़ी से 11 किमी दूर बूढ़ा बलंग नदी के किनारे स्थित है।

इतिहास और स्थापना

यह बालेश्वर नामक ज़िले का मुख्खालय है, जो मध्य काल में महत्त्वपूर्ण तटवर्ती नगर था। 1633 में यह ब्रिटिश उपनिवेश था और 17वीं सदी में डच, फ्रांस व डेनमार्क का उपनिवेश रहा। 1846 में डच और डेनमार्क के उपनिवेश ब्रिटेन के शासन में चले गये, लेकिन 1947 तक इस पर फ़्रांस का क़ब्ज़ा रहा।

उद्योग और व्यापार

बालेश्वर 18वीं शाताब्दी में चावल के व्यापार, नौका-मरम्मत और नमक उद्योग के लिये प्रसिद्ध था। आज चावल के अतिरिक्त यह मछ्ली, हार्डवेयर और कृषि उत्पाद का व्यापार भी करता है। अन्य आर्थिक गतिविधियों में धान की कुटाई, बिजली का सामान, बुनाई, हस्तशिल्प और मत्स्य संसाधन शामिल हैं। हाल में स्थापित इस्पात की मिश्र धातुओं, कागज व चीनी मिट्टी का उत्पादन और पत्थर की कटाई व गैस भरने जैसे उद्योगो ने बालेश्वर की समृद्धि को बढ़ाया हैं। बालेश्वर के लाख के खिलौने, रेमुना के पीतल के बर्तन का काम और नीलगिरि में पत्थर पर नक्काशी का काम विख्यात हैं।

शिक्षण संस्थान

यहाँ एफ.एम. कॉलेज और उपेन्द्रनाथ कॉलेज समेत कई महाविद्यालय हैं, जो उत्कल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।

पर्यटन

लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में चांदीपुर बीच, पंचलिंगेश्वर, बूढ़ा बलंग के नदी के समुद्र में मिलने का स्थल, बलरामगढ़ी और एक मध्ययुगीन दुर्ग चंदबली शामिल हैं।

यातायात और परिवहन

कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) तथा उड़ीसा के अन्य शहरों के लिये सड़क और रेलमार्ग का अच्छा संपर्क उपलब्ध हैं।

कृषि और खनिज

बालेश्वर और भद्रक में विभाजित बालेश्वर ज़िला जलोढ़ मृदा के क्षेत्र में स्थित है और धान के खेतों के कारण इसे ‘उड़ीसा का अन्न भंडार’ कहा जाता है।

जनसंख्या

इस ज़िले की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) कुल 20,23,056 है। नगर की जनसंख्या 1,06,032 है।