निखिल बैनर्जी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Nikhil Banerjee.jpg|thumb|निखिल बैनर्जी <br />Nikhil Banerjee]] | |||
*'''निखिल रंजन बैनर्जी''' का जन्म [[14 अक्टूबर]], [[1931]] में [[पश्चिम बंगाल]] राज्य के एक ब्राह्मण घराने में हुआ था। | *'''निखिल रंजन बैनर्जी''' का जन्म [[14 अक्टूबर]], [[1931]] में [[पश्चिम बंगाल]] राज्य के एक ब्राह्मण घराने में हुआ था। | ||
*निखिल रंजन बैनर्जी 20वीं सदी में [[भारत]] के प्रमुख [[सितार]] वादकों में से एक थे। | *निखिल रंजन बैनर्जी 20वीं सदी में [[भारत]] के प्रमुख [[सितार]] वादकों में से एक थे। |
Revision as of 08:34, 14 October 2010
thumb|निखिल बैनर्जी
Nikhil Banerjee
- निखिल रंजन बैनर्जी का जन्म 14 अक्टूबर, 1931 में पश्चिम बंगाल राज्य के एक ब्राह्मण घराने में हुआ था।
- निखिल रंजन बैनर्जी 20वीं सदी में भारत के प्रमुख सितार वादकों में से एक थे।
आरंभिक जीवन
निखिल रंजन बैनर्जी को सितार बजाना इनके पिता जितेन्द्रनाथ बैनर्जी ने सिखाया। सितार बजाने की उनमें बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा थी। निखिल रंजन बैनर्जी ने नौ साल की उम्र में अखिल भारतीय सितार प्रतियोगिता जीती और जल्द ही ऑल इंडिया रेडियो पर सितार बजाने लगे। शुरुआती प्रशिक्षण के लिए जितेन्द्रनाथ के अनुरोध पर मुश्ताक़ अली ख़ाँ ने निखिल बैनर्जी को अपना शिष्य बनाया। निखिल बैनर्जी उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ से शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन अलाउद्दीन ख़ाँ और शिष्य नहीं चाहते थे। अन्त में रेडियो पर निखिल बैनर्जी का सितार वादन सुनने पर अलाउद्दीन ख़ाँ ने अपना निर्णय बदला। मुख्यत: निखिल बैनर्जी उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ के शिष्य थे, लेकिन उन्होंने अली अकबर ख़ाँ से भी शिक्षा प्राप्त की।
मैहर घराना
मैहर घराने का कठोर अनुशासन था। सालों तक निखिल बैनर्जी ने प्रात: चार बजे से रात के ग्यारह बजे तक रियाज़ किया। निखिल बैनर्जी के अतिरिक्त उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ के शिष्यों में उनके पुत्र अली अकबर ख़ाँ, पौत्र आशीष ख़ाँ, भतीजे बहादुर ख़ाँ (सरोद), रवि शंकर (सितार), पुत्री अन्नपूर्णा (सुरबहार), पन्ना लाल घोष (बाँसुरी) और बसन्त राय (सरोद) भी थे। उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ ने अपने शिष्यों को वादन पद्धति के साथ मैहर घराने के दृष्टिकोण से भी परिचित कराया।
सम्मान
निखिल रंजन बैनर्जी को 1987 में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ