धीरूभाई अंबानी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:23, 27 November 2011 by गोविन्द राम (talk | contribs) (Adding category Category:वाणिज्य व्यापार कोश (को हटा दिया गया हैं।))
Jump to navigation Jump to search
धीरूभाई अंबानी
पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी
जन्म 28 दिसंबर, 1932
जन्म भूमि जूनागढ़ ज़िले, सौराष्ट्र
मृत्यु 6 जुलाई, 2002
मृत्यु स्थान मुंबई
पति/पत्नी कोकिला बेन
संतान पुत्र मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और पुत्री नीना कोठरी, दीप्ति सलगांवकर
कर्म-क्षेत्र उद्योगपति
नागरिकता भारतीय

धीरजलाल हीराचंद अंबानी (जन्म- 28 दिसंबर, 1932, जूनागढ़ ज़िले, सौराष्ट्र - मृत्यु- 6 जुलाई 2002, मुंबई) भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति थे।

जन्म एवं परिवार

धीरूभाई अंबानी का जन्म सौराष्ट्र के जूनागढ़ ज़िले में हुआ था। इनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। भारत की सबसे बड़ी निजी उद्योग कंपनी रिलायंस के, जिसका कारोबार 65,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा, के मालिक धीरूभाई अंबानी का जीवन असाधारण रूप से घटना-प्रधान रहा है। पिता हीराचंद एक प्राइमरी पाठशाला में अध्यापक थे। धीरूभाई अंबानी के परिवार में इनकी पत्नी कोकिला बेन तथा इनकी चार संतान पुत्र मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, पुत्री नीना कोठरी, दीप्ति सल्गाओकर है।

व्यवसाय का आरंभ

आर्थिक कठिनाई के कारण छोटे-मोटे काम करते हुए धीरूभाई कक्षा 9 तक की पढ़ाई कर सके। उसके बाद वे मुंबई आए और यहाँ आजीविका के लिए सड़क पर फल बेचने के सहित दुकानों में काम किया। फिर वे अदन चले गए। यहां भी उन्हें एक रिफाइनरी में मजदूरी और पेट्रोल पंप में तेल भरने का काम मिला। thumb|250px|left||कोकिला बेन (धीरूभाई अंबानी की पत्नी) द्वारा यमुना पूजन, मथुरा फिर एक चक्कर अमेरिका का लगाया और स्वयं अपना व्यवसाय आरंभ करने का निश्चय करके स्वदेश लौटने पर उन्होंने 1958 में ‘रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन’ नामक कंपनी बनाई। इस कंपनी ने आरंभ में पश्चिमी देशों में अदरक, हल्दी तथा अन्य मसालों का निर्यात किया। बाद में पालियस्टर धागे, वस्त्र उद्योग, पेट्रो रसायन, तेल और गैस, टेलिकॉम आदि क्षेत्रों में असाधारण उन्नति की। अंबानी ने जनता में शेयर बेचकर धन एकत्र किया और शेयरधारकों का विश्वास सदा बनाए रखा।

दूरदर्शी व्यक्ति

वे बड़े दूरदर्शी व्यक्ति थे। उद्योग की संभावनाओं का पूर्वानुमान लगा कर वे समय रहते उस क्षेत्र में काम आरंभ कर देते थे। उन्होंने स्वयं अकूत संपत्ति अर्जित की और शेयरधारकों को भी उसमें साझीदार बनाया। आधुनिक भारत में अपनी सूझबूझ से कुछ ही वर्षों में इतना सफल उद्योग-व्यवसाय समूह स्थापित करने वाले वे अद्वितीय व्यक्ति थे।

निधन

सिर की शिरा फट जाने के कारण 6 जुलाई, 2002 को मुंबई के एक अस्पताल में उनका देहांत हो गया।  


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 404-405।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः