काली किताब

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thumb|काली किताब का अावरण पृष्ठ काली किताब (द ब्लैक बुक) 'आबिद सुरती' की प्रसिद्ध पुस्तक है। इस पुस्तक को धर्मवीर भारती की प्रस्तावना इस प्रकार है- “संसार की पुरानी पवित्र किताबें इतिहास के ऐसे दौर में लिखी गयीं जब मानव समाज को व्यवस्थित और संगठित करने के लिए कतिपय मूल्य मर्यादाओं को निर्धारित करने की ज़रूरत थी। आबिद सुरती की यह महत्वपूर्ण ‘काली किताब’ इतिहास के ऐसे दौर में लिखी गयी है, जब स्थापित मूल्य-मर्यादाएँ झूठी पड़ने लगी है और नए सिरे से एक विद्रोही चिंतन की आवश्यकता है ताकि जो मर्यादाओं का छद्म समाज को और व्यक्ति की अंतरात्मा को अंदर से विघटित कर रहा है, उसके पुनर्गठन का आधार खोजा जा सके। महाकाल का तांडव नृत्य निर्मम होता है, बहुत कुछ ध्वस्त करता है ताकि नयी मानव रचना का आधार बन सके। वही निर्ममता इस कृति के व्यंग्य में भी है...”

पुस्तक के अंश

काली किताब पृष्ठ सं. 30

24. इसी विशाल सभा को संबोधित करते हुए यम-जमाल ने टेकरी पर खड़े होकर बतलाया 25. कि मेरे पिता शैतान ने अपनी ‘काली किताब’ के साथ मुझे तुम्हारे पास भेजा है 26. जिससे तुम खरे और खोटे का भेद समझो 27. और घरों में, रास्तों में तथा मंदिरों में शैतान के लिंग की स्थापना करो 28. क्योंकि 29. जो कोई शैतान के एक लिंग की स्थापना करेगा उसकी आयु में एक वर्ष की वृद्धि हो जाएगी 31. और जो कोई सौ अथवा सौ से अधिक लिंगों की स्थापना करेगा वह अमर हो जाएगा

काली किताब पृष्ठ सं. 31

15. तब- 16. यम जमाल ने सबको संबोधित कर कहा 17. कि जो घोड़े अपंग हो जाते हैं, 18. उन घोड़ों को दाग़ दिया जाता है; 19. क्योंकि वे घोड़े किसी काम के नहीं होते 20. इसी तरह जो स्त्री-पुरुष वृद्ध हो जाते हैं वे किसी काम के नहीं रहते; 21. बल्कि वे युवकों की प्रगति रोकते हैं 22. इतना ही नहीं वे समाज की प्रगति में भी बाधा बन जाते हैं[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आबिद सुरती की काली किताब (हिन्दी) रचनाकार (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 24 मई, 2015।

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