सुभद्रा देवी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 06:49, 14 July 2023 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
सुभद्रा देवी
पूरा नाम सुभद्रा देवी
जन्म 1941
जन्म भूमि मधुबनी, बिहार
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र हस्तकला
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2023
प्रसिद्धि पेपरमेशी कलाकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी पद्म श्री से सम्मानित होने वाली सभी हस्तियों से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत की तो उन्होंने खुद भी सुभद्रा देवी से पेपरमेशी कला सीखने की इच्छा जाहिर की।
अद्यतन‎

सुभद्रा देवी (अंग्रेज़ी: Subhadra Devi) पेपरमेशी कला की हस्तशिल्प कलाकार हैं। उन्हें भारत सरकार ने 'पद्म श्री', 2023 से सम्मानित किया है। राष्ट्रपति भवन में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए लोगों को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसमें 87 वर्षीया पेपरमेशी कला की सिद्धहस्त सुभद्रा देवी भी शामिल थीं। पद्म श्री से सम्मानित होने वाली सभी हस्तियों से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत की तो उन्होंने खुद भी सुभद्रा देवी से पेपरमेशी कला सीखने की इच्छा जाहिर की। सुभद्रा देवी मधुबनी जिले के पंडोल प्रखंड सलेमपुर गांव की रहने वाली हैं। पुरस्कार मिलने के बाद सुभद्रा देवी तो प्रसन्न हैं ही, साथ ही जिले को भी गौरवान्वित होने का अवसर मिला है।

पेपरमेसी कला

गांव-घर में जो काम बचपन में खेलने के लिए करें, यदि उसमें संभावना देखते जाएं तो कितना बड़ा नाम हो सकता है? इसका जवाब है सुभद्रा देवी। सुभद्रा देवी को पेपरमेसी के लिए पद्म श्री मिला है। पेपरमेसी मूल रूप से जम्मू-कश्मीर की कला के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन सुभद्रा देवी बचपन में इस कला से खेला करती थीं।

कागज को पानी में गलाकर उसे रेशे के लुगदी के रूप में तैयार करना और फिर नीनाथोथा व गोंद मिलाकर उसे पेस्ट की तरह बनाते हुए उससे कलाकृतियां तैयार करना पेपरमेसी कला है। सुभद्रा देवी दरभंगा के मनीगाछी से ब्याह कर मधुबनी के सलेमपुर पहुंचीं तो भी इस कला से खेलना नहीं छोड़ा। जब पद्म श्री की घोषणा हुईं तो करीब 90 साल की सुभद्रा देवी दिल्ली में बेटे-पतोहू के पास थीं। घर से इतनी दूरी के बावजूद वह पेपरमेसी से दूर नहीं गई हैं। वहां से भी इस कला के विस्तार की हर संभावना देखती हैं। बड़े मंचों तक इसे पहुंचाने की जद्दोजहद में रहती हैं।[1]

सरल स्वभाव

भोली-भाली सूरत और सरल स्वभाव की मालकिन सुभद्रा देवी को वर्ष 1980 में राज्य पुरस्कार और 1991 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पेपरमेसी से मुखौटे, खिलौने, मूर्तियां, की-रिंग, पशु-पक्षी, ज्वेलरी और मॉडर्न आर्ट की कलाकृतियां बनाई जाती हैं। इसके अलावा अब प्लेट, कटोरी, ट्रे समेत काम का आइटम भी पेपरमेसी से बनता है। पेपरमेसी कलाकृतियों को आकर्षक रूप के कारण लोग महंगे दामों पर भी खरीदने को तैयार रहते हैं। पहली बार इस कला को बढ़ावा देने वाले किसी कलाकार के नाम पद्म श्री की घोषणा हुई तो कला और फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने कहा- “ऐसी कलाओं के कलाकार को पुरस्कार या सम्मान की घोषणा से अचानक उस कला की भी झूमकर चर्चा होने लगती है। यह चर्चा बनी रहे और इस सम्मान के जरिए भी इस कला का विस्तार हो तो निश्चित रूप से यह बिहार के लिए और भी बड़ी बात होगी।”


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः