खिलौना

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खिलौना शिशु या बच्चे के खेलने की वस्तु होती है। प्राय: खेल में प्रयुक्त होने वाली वस्तु को खिलौना कहते हैं। खिलौने और खेल विभिन्न संस्कृतियों में बहुत पहले से चले आ रहे हैं। ये एकदम सामान्य से अत्यधिक जटिल तक हो सकते हैं, जैसे बच्चे द्वारा चुनी गई साधारण सी ड़डी और कठघोड़े की कल्पना से लेकर परिष्कृत और जटिल यांत्रिक उपकरण तक, जो बच्चों और बड़ों, दोनों का मनोरंजन करते हैं। बहुत से देशों के संग्रहालयों में बहुत सी प्राचीन वस्तुएँ रखी हैं, जिनके मूल प्रयोजन तो स्पष्ट नहीं है। लेकिन संभवत: बच्चों ने इन्हें खेल की वस्तुओं के रूप में लिया होगा। प्राचीन काल की पहियों पर बनी मिट्टी की पशु की आकृति, जिसके उपयोग का कोई प्रमाण नहीं मिला है, संभवत: खिलौना ही है। गेंद सबसे प्राचीन खिलौने में से एक है।

प्रकार

खिलौनों से खेलने के दो प्रकार हैं:-

  • अनुकरणात्मक और
  • निर्देशात्मक।

विकास

सबसे पहला खिलौना संभवत: आत्म-संरक्षण के सहज बोध से विकसित हुआ होगा। बहुत सी मानव संस्कृतियों में युवाओं को सबसे पहले शस्त्रों का उपयोग सिखाया जाता था और मुगदर या लाठी स्पष्टत: खिलौना तलवारों, बंदूकों, टैंकों, हवाईजहाजों, नावों और खेल के अन्य सैन्य उपकरणों के आदि प्रारूप हैं। ज़्यादातर खेलों में शारीरिक सक्रियता की आवश्यकता होती थी, जो अभ्यास और युद्ध में निपुणता से ही संभव थी। खिलौना सिपाही और शस्त्र मध्य काल से चले आ रहे हैं। युद्ध तकनीकों में नवीनतम विकास का असर वर्तमान खिलौनों पर भी दिखाई पड़ता है, जैसे विज्ञान कथाओं और चलचित्रों में की गई कल्पना के अनुसार शस्त्र और उपकरण।

लघु स्वरूप के खिलौने

गुड़िया एक सामान्य खिलौना है। हर युग और संस्कृति ने बच्चों को मनुष्य या पशु के लघु स्वरूप और रोज़मर्रा के जीवन में काम आने वाली शिल्पकृतियाँ उपलब्ध कराई हैं। कई गतिहीन खिलौने इस प्रकार के हैं: जीवित प्राणियों या वस्तुओं के लघु स्वरूप, जिनका अनुकरणात्मक या कल्पनात्मक उपयोग किया जा सकता है।

गतिमान खिलौने

गतिमान खिलोनों में अनेक प्रकार के खिलौने आते हैं। संभवत: बहुत से सामान्य भौतिक नियम के प्रयोग पहले पहल गतिमान खिलौनें के बारे में दिए गए साहित्यिक विवरणों से ज्ञात होने के बाद हुए होंगे। विस्फोटक खिलौनों, शस्त्रों और रॉकेट का विकास चीनियों के द्वारा सबसे पहले पटाखों के लिए बारूद के प्रयोग से हुआ। संतुलन और प्रतिसंतुलन, घुमना, झुलना, दोलन, उड़ान, अपकेंद्र बल, चुंबकत्व, कमानी और ढेर सारे अन्य उपकरणों और नियमों का उपयोग खिलौनों का उत्पादन संभव हुआ है, जैसे बिजली से चलने वाला खिलौना रेल और स्वचालित ट्रक और कार, रेडियो-नियंत्रित हवाईजहाज़, चलन, बोलने और प्रकाश किरणपुंज से सक्रिय होकर करतब दिखाने वाली गुड़िया।

समंवय और हस्त कौशल का विकास

समंवय और हस्त कौशल का विकास खिलौनों के जोड़-तोड़ के दौरान बचपन के संचित अनुभवों से होता है- कंचे, जैकस्टोन और अन्य खिलौनों में हाथ और शरीर के उपयोग की आवश्यकता पड़ती है। मानसिक दक्षता की शुरुआत बचपन से होती है, जिसके लिए पहेलीयुक्त चुनौती पेश करते हैं।


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