हरि किशन सरहदी

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हरि किशन सरहदी (अंग्रेज़ी: Hari Kishan Sarhadi, जन्म: 1912 [1]- शहीद: 9 जून, 1931) भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे जो भारत की आज़ादी की लड़ाई शहीद हो गये।

जीवन परिचय

उत्तर-पश्चिम के सीमांत प्रान्त के मर्दन जनपद के गल्ला ढेर नामक स्थान पर गुरुदास मल के पुत्र रूप में सन 1912 में बालक हरिकिशन का जन्म हुआ था। गुरु दास मल की माँ यानि कि हरिकिशन की दादी माँ बचपन से ही क्रान्तिकारियों के किस्से कहानियों के रूप में बालक हरिकिशन को सुनाया करती थीं। क्रांति का बीज परिवार ने ही बोया। क्रांति बीज को पोषित करके, हरा-भरा करके माँ भारती के कदमो में समर्पित पिता गुरुदास मल ने किया। काकोरी कांड का बड़े लगन व चाव से अध्ययन हरिकिशन ने किया। रामप्रसाद बिस्मिलअशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ हरिकिशन के आदर्श बन गये। दौरान-ए-मुकदमा (असेम्बली बम कांड) भगत सिंह के बयानों ने हरिकिशन के युवा मन को झक झोर दिया। भगत सिंह को हरिकिशन अपना गुरु मानने लगे। यह वह दौर था जब ब्रिटिश हुकूमत द्वारा पूरे देश में क्रान्तिकारियों पर दमन अपने चरम पर था।[2]

क्रांतिकारी जीवन

यह वह दौर था जब ब्रिटिश हुकूमत द्वारा पूरे देश में क्रान्तिकारियों पर दमन अपने चरम पर था। इन्हीं परिस्थितियों में क्रांतिपुत्र हरिकिशन ने पंजाब के गवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी का वध करने का निश्चय किया। पंजाब विश्विद्यालय का दीक्षांत समारोह 23 दिसम्बर, 1930 को संपन्न होना था। समारोह की अध्यक्षता गवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी को करनी थी और मुख्य वक्ता डॉ. राधाकृष्णन थे। अपनी पूरी तैयारी के साथ हरिकिशन भी सूट-बूट पहन कर दीक्षांत भवन में उपस्थित थे। डिक्शनरी के बीच के हिस्से को काटकर उसमें रिवाल्वर रखकर समारोह की समाप्ति का इंतज़ार करने लगे। यह ध्यान देने की बात है कि हरिकिशन को गोली चलाने की ट्रेनिंग उनके ही पिता गुरुदास मल ने स्वयं ही दी थी। हरिकिशन एक पक्के निशानेबाज बन गये थे। समारोह समाप्त होते ही लोग निकलने लगे।| हरिकिशन एक कुर्सी पर खड़े हो गये और उन्होंने गोली चला दी, एक गोली गवर्नर की बांह और दूसरी पीठ को छिलती हुई निकल गयी। तब तक डॉ. राधाकृष्णन गवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी को बचाने के लिए उनके सामने आ गये। अब हरिकिशन ने गोली नहीं चलायी और सभा भवन से निकल कर पोर्च में आ गये। पुलिस दरोगा चानन सिंह पीछे से लपके और वे हरिकिशन का शिकार बन गये, एक और दरोगा बुद्ध सिंह वधावन ज़ख़्मी होकर गिर पड़ा। हरिकिशन अपना रिवाल्वर भरने लगे परन्तु इसी दौरान पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। इस तरह उस समय एक ब्रितानिया शोषक-जुल्मी की जन किसने बचायी और वे कितने बड़े देशभक्त थे, यह इस घटना से समझा जा सकता है। अब हरिकिशन पर अमानवीय यातनाओं का दौर शुरु हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कई स्रोतों पर इनका जन्म सन् 1909 में भी बताया गया है।
  2. शहीद हरी किशन सरहदी (हिंदी) The Realty of India। अभिगमन तिथि: 23 जून, 2013।

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