सूत्र

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:18, 4 January 2015 by गोविन्द राम (talk | contribs) (''''सूत्र''' एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ धागा होता है...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

सूत्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ धागा होता है। इसे पालि सूत्त, हिंदू धर्म में एक संक्षिप्त सूक्तिपूर्ण रचना; बौद्ध या जैन धर्मो में उपदेश के रूप में अधिक विस्तृत रचना के रूप में जाना जाता है। प्रारंभिक भारतीय विद्वानों ने सामान्यत: लिखित रचनाओं पर काम नहीं किया और बाद में अक्सर उनके इस्तेमाल में अरुचि दिखाई; इसलिए ऐसी अत्यंत संक्षिप्त रचना की आवश्यकता हुई, जिसे याद किया जा सके। प्रारंभिक सूत्र आनुष्ठानिक प्रक्रियाओं के संहिताकरण थे, लेकिन उनका प्रयोग फला। पाणिनि का व्याकरण सूत्र (पांचवीं-छठी ई.पू.) कई अर्थों में बाद की रचनाओं के लिए आदर्श बना। सभी भारतीय दार्शनिक पद्धतियों (सांध्य के अलावा, जिसकी अपनी कारियाएं या सैद्धांतिक श्लोक थे) के अपने सूत्र थे, जिनमें से अधिकतर निश्चित रूप से ईस्वी सन में, लेकिन संभवत: इससे पहले दूसरी या तीसरी सदी ई.पू. में लिपिबद्ध किए गए। हिंदू साहित्य से भिन्न, बौद्ध एवं जैन सूत्र सैद्धांतिक रचनाएं हैं और कहीं-कहीं इनमें किसी सिद्धांत के बिंदु विशेष पर उपदेश के रूप में विस्तारपूर्वक चर्चा मिलती है। थेरवाद सूत्रों का सबसे महत्त्वपूर्ण संकलन पालि धर्मशास्त्र के सुत्त परिशिष्ट में पाया जाता है, जिसमें गौतम बुद्ध के उपदेश संकलित हैं। महायान बौद्ध संप्रदाय में सूत्र संज्ञा व्याख्यात्मक रचना के लिए प्रयुक्त होती है। यही तथ्य प्रारंभिक जैन धार्मिक साहित्य में भी मिलता है।



टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः