ज़बानी जमा-खर्च करना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- कोई बात कहने भर तक सीमित रहना, पर करना-धरना कुछ नहीं।
प्रयोग- मनोज अपने दोस्तों के सामने बड़ी-बड़ी बातें तो करता मगर करता-धरता कुछ नहीं।