रहिमन गली है सांकरी -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:58, 4 February 2016 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) ('<div class="bgrahimdv"> ‘रहिमन’ गली है सांकरी, दूजो नहिं ठहराहिं।<...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

‘रहिमन’ गली है सांकरी, दूजो नहिं ठहराहिं।
आपु अहै, तो हरि नहीं, हरि, तो आपुन नाहिं॥1॥

अर्थ

जबकि गली सांकरी है, तो उसमें एक साथ दो जने कैसे जा सकते है? यदि तेरी खुदी ने सारी ही जगह घेर ली तो हरि के लिए वहां कहां ठौर है? और, हरि उस गली में यदि आ पैठे तो फिर साथ-साथ खुदी का गुजारा वहां कैसे होगा? मन ही वह प्रेम की गली है, जहां अहंकार और भगवान एक साथ नहीं गुजर सकते, एक साथ नहीं रह सकते।


left|50px|link=रहिमन कोऊ का करै -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=अमरबेलि बिनु मूल की -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः