अनालंब

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महाभारत के अनुशासन पर्व में इस तीर्थ का नैमिषारण्य के साथ उल्लेख है जिससे इसकी स्थिति का कुछ अनुमान किया जा सकता है।

'मतंगवाप्यां य: स्नानादेकरात्रेण सिद्धयति विगाहति ह्यनालंबमंधकं वै सनातनम्'[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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