शंकरनारायण मेनन

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शंकरनारायण मेनन चुंडायिल (अंग्रेज़ी: [[Shankarnarayan Menon) 'कलारीपयट्टू' का अभ्यास करने वाले सबसे वरिष्ठ भारतीय हैं। 93 की उम्र में भी वह केरल के इस मार्शल आर्ट फ़ॉर्म का न सिर्फ़ अभ्यास करते हैं बल्कि छात्रों को प्रशिक्षित भी करते हैं। उन्हें 'उन्नी गुरुक्कल' के नाम से जाना जाता है। शंकरनारायण मेनन त्रिसूर, केरल के चवक्कड़ में 'वल्लभट्ट कलारी' नामक प्रशिक्षण केन्द्र चलाते हैं। उन्नी गुरुक्कल और उनके परिवार ने 'कलारी' या 'कलारीपयट्टू' को मशहूर करने में बेहद अहम भूमिका निभाई है। उनके योगदान के देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री (2022) से सम्मानित किया है।

  • शंकरनारायण मेनन केरल में वल्लभट्ट कलारी के मुख्य प्रशिक्षक और वर्तमान गुरुक्कल हैं, जिनके नेतृत्व में करीब 100 युवा प्रशिक्षु प्रशिक्षण ले रहे हैं।
  • कलारी को सिखाने वाले वह मुदावंगटिल परिवार के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति हैं। परिवार के पास मालाबार में वेट्टथु नाडु के राजा की सेना का नेतृत्व करने की विरासत है।[1]
  • शंकरनारायण मेनन की उम्र 93 साल हो गई है लेकिन वह आज भी तय दिनचर्या और अनुशासन के साथ अपना जीवन जी रहे हैं। वह रोजाना सुबह साढ़े पांच बजे उठते हैं और छह बजे ट्रेनिंग सेंटर पहुंचकर दो घंटे की ट्रेनिंग देते हैं। वह समय से उठने और समय से सोने की नीति का पूरी तरह से पालन करते है।
  • उन्नी गुरुक्कल और उनके बच्चों ने कलारीपयट्टू को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर विदेशों की यात्रा की है, ब्रिटेन, यूएस, फ्रांस, बेल्जियम और श्रीलंका जैसे देशों में नए वल्लभट्ट केंद्र शुरू किए हैं। अब तक, वल्लभट्ट कलारी दुनिया भर में 17 शाखाओं में 5,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करता है।
  • कलारीपयट्टू एक भारतीय युद्ध कला है जिसकी शुरुआत दक्षिण भारत में मुख्यत: केरल में हुई। आधुनिक दौर में इसे मार्शल आर्ट का एक प्रकार भी बताया जाता है। इस युद्धकला में मुख्यतौर पर बचाव के तरीके सिखाए जाते हैं।
  • कहा जाता है कि अगस्त्य मुनि ने इस कला को जन्म दिया था। उन्होंने इसकी रचना जंगली जानवरों से लड़ने के लिए की थी। माना जाता है कि जंगलों में भ्रमण करते समय मुनि का सामना शेरों और ताकतवर जंगली जानवर से होता था। उन्होंने इन हमलों से अपनी सुरक्षा के लिए कलारीपयट्टू को जन्म दिया। कलारीपयट्टू को मार्शल आर्ट के साथ-साथ हीलिंग आर्ट भी माना जाता है। यह प्राकृतिक रूप से फिजियोथेरेपी का काम भी करता है। साल 2020 में इस मार्शल आर्ट को खेलों इंडिया गेम्स में शामिल किया गया था।[2]


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