छोटी आंत्र

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 06:30, 25 November 2010 by गोविन्द राम (talk | contribs) (श्रेणी:नया पन्ना; Adding category Category:मानव शरीर (को हटा दिया गया हैं।))
Jump to navigation Jump to search

(अंग्रेज़ी:Small Intestine) छोटी आन्त्र आमाशय के पीछे व उदरगुहा के अधिकांश भाग को घेरे हुए, लगभग 6 मीटर लम्बी व 2.5 सेमी मोटी और अत्यधिक कुण्डलित नलिका होती है। इसमें आगे से पीछे की ओर तीन भाग होते हैं-

ग्रहणी

ग्रहणी छोटी आन्त्र का लगभग 25 समी लम्बा अपेक्षाकृत कुछ मोटा और अकुण्डलित प्रारम्भिक भाग होता है। यह आमाशय के पाइलोरस से प्रारम्भ होकर 'C' की आकृति बनाता हुआ बाईं ओर को मुड़ा रहता है। इसकी भुजाओं के बीच में मीसेन्ट्री द्वारा सधा हुआ गुलाबी-सा अग्न्याशय होता है। यकृत से पित्तवाहिनी तथा अग्न्याशय में अग्न्याशिक वाहिनी ग्रहणी के निचले भाग में आकर खुलती है। ये क्रमशः पित्तरस तथा अग्न्याशिक रस लाकर ग्रहणी में डालती हैं। पीछे की ओर ग्रहणी मध्यान्त्र में खुलती है।

मध्यान्त्र तथा शेषान्त्र

छोटी आन्त्र का शेष भाग अत्यधिक कुण्डलित तथा लगभग 2.5 मीटर लम्बी मध्यान्त्र और 3.5 मीटर लम्बी शेषान्त्र में विभेदित होता है। इस भाग के चारों ओर बड़ी आन्त्र होती है। मध्यान्त्र व शेषान्त्र की पतली भित्ति में ब्रूनर ग्रन्थियाँ तथा आन्त्रीय ग्रन्थियाँ होती हैं। जिनसे आन्त्र रस निकलकर भोजन में मिलता रहता है। इसके अतिरिक्त इसकी भित्ति में अनेक अंगुली के आकार के छोटे–छोटे रसांकुर होते हैं। ये पचे हुए भोजन का अवशोषण करते हैं और अवशोषण तल को बढ़ाते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः