कुल्लू

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thumb|250px|कुल्लू का एक दृश्य
A View Of Kullu

कुल्लू (भूतपूर्व सुल्तानपुर), मध्य हिमाचल प्रदेश, उत्तरी भारत में राजधानी शिमला से 240 किलोमीटर दूर व्यास नदी के तट पर स्थित है। कुल्लू हिमाचल प्रदेश में बसा एक ख़ूबसूरत पर्यटन स्‍थल है। कुल्लू की ख़ूबसूरती और हरियाली बरसों से पर्यटकों को अपनी ओर खींचती आई है। कुल्लू विज नदी के किनारे बसा हुआ है, यह स्‍थान अपने यहाँ मनाए जाने वाले रंगबिरंगे दशहरा के लिए प्रसिद्ध है। 17वीं शताब्‍दी में निर्मित रघुनाथजी का मंदिर भी कुल्लू में है जो हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्‍थान है। कुल्लू का प्राचीन नाम कुलंतपीठ था। यह जगह सिल्‍वर वैली के नाम से मशहूर है। कुल्लू केवल सांस्‍कृतिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए ही नहीं बल्कि एडवेंचर स्‍पोर्ट के लिए भी प्रसिद्ध है। इस शहर को

इतिहास

कुल्लू मध्यकालीन समय में राजपूत राजाओं के शक्तिशाली राज्य का एक हिस्सा था। कुल्लू अपने दशहरे के त्योहार के लिए प्रसिद्ध है।

यातायात और परिवहन

कुल्लू शिमला से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। thumb|left|240px|सेब बगीचा
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हवाई मार्ग

हवाई जहाज के द्वारा कुल्लू के पास तक जाया जा सकता है। सप्ताह में तीन दिन शिमला से जैगसन एयरवेज की उड़ानें कुल्लू के निकटतम (10 किलोमीटर दूर) मुंतर हवाई अड्डा के लिए हैं। मुंतर से कुल्लू तक की दूरी टैक्सी वगैरह द्वारा तय की जा सकती है।

रेल मार्ग

रेल मार्ग द्वारा कुल्लू जाना हो तो कालका–शिमला रेलमार्ग से शिमला तक और वहाँ से बस या टैक्सी द्वारा कुल्लू पहुँचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त एक और रेलमार्ग पठानकोट से योगेंद्र नगर तक का है। कुल्लू की दूरी योगेंद्र नगर से भी बस या टैक्सी द्वारा तय की जा सकती है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या– 21 द्वारा अंबाला, चंडीगढ़, बिलासपुर, मंडी होते हुए या पठानकोट, पालमपुर, योगेंद्र नगर और मंडी या दिल्ली, चंडीगढ़, शिमला आदि होते हुए भी कुल्लू पहुँचा जा सकता हैं।

कृषि और खनिज

thumb|250px|कुल्लू का एक दृश्य
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यह एक कृषि व्यापार केंन्द्र है। चाय, फल, गेहूँ, जौ और अन्य फ़सलें आसपास के क्षेत्र में उगाई जाती हैं, जिसका अधिकांश हिस्सा वनाच्छादित है।

उद्योग और व्यापार

हथकरघा बुनाई कुल्लू का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग है, जिसके अंतर्गत कुल्लू में टोपी, शॉल, रूमाल और गुलूबंद का निर्माण होता है।

पर्यटन

इस पर्यटन–स्थल को देखकर ऐसा लगता है कि ईश्वर ने इसे प्राकृतिक सौंदर्य मुक्त हस्त से दिया है। अपने कर्णप्रिय स्वर से घाटियों में संगीत घोलते झरनों, छोटी–मोटी वादियों, हरे–भरे मैदानों, चरागाहां, सेब के बागों आदि के कारण कुल्लू का आकर्षण कई गुना बढ़ जाता है।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 18,306 है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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