ब्रह्मगुप्त

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:07, 15 April 2010 by गौरव (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search
40px पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार करने में सहायता कर सकते हैं।

ब्रह्मगुप्त / Brahmagupta

ब्रह्मगुप्त ( 598-668) एक भारतीय गणितज्ञ थे। वे तत्कालीन गुर्जर प्रदेश (भीनमाल) के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान मध्य प्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष ग्रन्थ लिखे: ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त (सन 628 में) और खन्डखड्यक (सन 665 ई में)। आचार्य ब्रह्मगुप्त का जन्म राजस्थान राज्य के भीनमाल शहर में ईस्वी सन् 598 में हुआ था। इसी वजह से उन्हें भिल्लमालाआचार्य के नाम से भी कई जगह उल्लेखित किया गया है। यह शहर तत्कालीन गुजरात प्रदेश की राजधानी तथा हर्षवर्धन साम्राज्य के राजा व्याघ्रमुख के समकालीन माना जाता है। 'ब्रह्मस्फुटसिद्धांत' सबसे पहला ग्रन्थ माना जाता है जिसमें शून्य का एक विभिन्न अंक के रूप में उल्लेख किया गया है। यही नहीं, बल्कि इस ग्रन्थ में ऋणात्मक (negative) अंकों और शून्य पर गणित करने के सभी नियमों का वर्णन भी किया गया है। हां, ब्रह्मगुप्त शून्य से भाग करने का नियम सही नहीं दे पाये: 0/0 = 0।


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः