काकोरी काण्ड
- उत्तर प्रदेश में लखनऊ के पास स्थित यह स्थान आधुनिक भारत में चर्चा का विषय बना।
- 9 अगस्त, 1925 को इस स्थान पर देशभक्तों ने रेल विभाग की ले जाई जा रही संगृहीत धनराशि को लूटा।
- यह घटना इतिहास में काकोरी षड्यंत्र के नाम से जानी जाती है।
- क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 10 लोगों ने सुनियोजित कार्रवाई के तहत यह कार्य करने की योजना बनाई।
- उन्होंने ट्रेन के गार्ड को बंदूक की नोक पर काबू कर लिया।
- गार्ड के डिब्बे में लोहे की तिजोरी को तोड़कर आक्रमणकारी दल चार हजार रुपये लेकर फरार हो गए।
- इस डकैती में अशफाकउल्ला, चन्द्रशेखर आज़ाद, राजेन्द्र लाहिड़ी, सचीन्द्र सान्याल, मन्मथनाथ गुप्त, रामप्रसाद बिस्मिल आदि शामिल थे।
- काकोरी षड्यंत्र मुकदमें ने काफ़ी लोगों का ध्यान खींचा।
- इसके कारण देश का राजनीतिक वातावरण आवेशित हो गया।
- इस घटना से जुड़े 43 अभियुक्तों पर मुक़दमा चलाया गया।
- निर्णय 6 अप्रैल, 1927 को सुनाया गया।
- रामप्रसाद बिस्मिल राजेन्द्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशनसिंह को मृत्युदण्ड की सज़ा सुनाई गई।
- सचीन्द्र सान्याल को आजीवन कारावास हुआ और मन्मथनाथ गुप्त को 14 वर्षों का सश्रम कारावास दिया गया।
- कुछ समय बाद अशफाकउल्ला को मृत्युदण्ड दिया गया।
- 14 अन्य लोगों को लम्बी सज़ा सुनाई गई।
- दो व्यक्ति अभियोजन पक्ष के मुखबिर बन गए।
- चन्द्रशेखर आज़ाद को पुलिस खोजती रही।
- कांग्रेस ने मृत्युदण्ड की भर्त्सना की।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ