कांसीजोड़ा कांड

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:48, 16 April 2011 by शिल्पी गोयल (talk | contribs) ('*कांसीजोड़ा कांड ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासनकाल म...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  • कांसीजोड़ा कांड ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासनकाल में कलकत्ता स्थित सुप्रीम कोर्ट और सपरिषद गवर्नर-जनरल (सुप्रीम कौंसिल) के बीच एक ज़मींदार के मामले को लेकर होने वाला संघर्ष था।
  • कांसीजोड़ा के ज़मींदार (राजा) से अपना क़र्ज वसूलने के लिए एक व्यक्ति ने ज़मींदार के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में मुक़दमा दायर किया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने मुक़दमे को विचार करने के लिए ज़मींदार के ख़िलाफ़ समादेश जारी किया। जिसमें उससे अदालत में पेश होने को कहा गया था। लेकिन उक्त ज़मींदार की इस आपत्ति पर कि वह न तो कम्पनी का सेवक है और न ही कलकत्तावासी है, अत: उस पर सुप्रीम कोर्ट का क्षेत्राधिकार लागू नहीं होता, सुप्रीम कौंसिल अर्थात् सपरिषद् गवर्नर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इस मामले को आगे न बढ़ाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपना क्षेत्राधिकार बढ़ाने पर तुला हुआ था, इसलिए उसने अपने अधिकारियों को ज़मींदार की गिरफ्तारी के लिए भेजा।
  • सुप्रीम कौंसिल ने इसके जवाब में फौरन अपने सिपाहियों को उन अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए भेज दिया, जो ज़मींदार को गिरफ्तार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भेजे गए थे।
  • इस प्रकार कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच कटु संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सर एलिजा इम्पी को काफ़ी भत्ता देकर सदर दीवानी अदालत का भी मुख्य न्यायाधीश बना दिये जाने से यह संघर्ष टल गया।
  • इम्पी द्वारा इस पद का स्वीकार किया जाना उचित नहीं समझा गया। उस पर बाद में जो महाभियोग लाया गया, उसका एक कारण यह भी था।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश' पृष्ठ संख्या-86

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः