सिद्धसेन द्वितीय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:33, 22 April 2010 by Nikhil (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search

सिद्धसेन द्वितीय / Siddhasen 2nd

  • इनका समय 9वीं शती माना जाता है।
  • इन्होंने न्यायशास्त्र का एकमात्र 'न्यायावतार' ग्रन्थ लिखा है, जिसमें जैन न्यायविद्या का 32 कारिकाओं में सांगोपांग निरूपण किया है।
  • इनकी रची कुछ द्वात्रिंशतिकाएँ भी हैं जिनमें तीर्थंकर की स्तुति के बहाने जैन दर्शन और जैन न्याय का भी दिग्दर्शन किया गया है।

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः