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  • मनुष्य में तीनों चीज़ें वास करती हैं- मनुष्यता, पशुता और दिव्यता। -शिवानंद (दिव्योपदेश 2।26)
  • जीवन स्वयं में न तो अच्छा होता है, न बुरा। जैसा तुम इसे बना दो, यह तो वैसा ही अच्छा या बुरा बन जाता है। -मांतेन (निबंध) .... और पढ़ें

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