पोलियो

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पोलियो का परिचय

पोलियोमाइलिटिस को अक्सर पोलियो या शिशु लकवा कहा जाता है। पोलियोमाइलिटिस (पोलियो) एक संक्रमण है जो पोलियो वायरस के कारण होता है। यह संक्रामक बीमारी पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है किंतु हमेशा स्नायुओं और माँस-पेशियों को प्रभावित करता है।

पोलियो के कारण

पोलियो एक संक्रमण है जो जंगली (जीनस) पोलियो वायरस (पीवी) के कारण होता है। यह एक एन्टिरोनायरस होता है जो पिकोर्नाविरुस परिवार के अंतर्गत आता है। पोलियो वायरस 3 प्रकार के होते हैं जो किसी आदमी में संक्रमण का कारण बनते हैं और पोलियोग्रस्त बनाते है। वे तीनो हैं: प्रकार 1, 2 और 3। इस वायरस को विज्ञान की भाषा में फिल्टरेवल न्यूरोटापिक नामक वायरस (स्पाइनल कीड़े) के नाम से जाना जाता है। यह वायरस सुषुम्ना के सफेद भाग पर संक्रमण करके वहां पर सूजन पैदा कर देता है। इस सूजन के कारण बच्चे के हाथ और पांव कार्य करना बंद कर देते हैं।

पोलियो वायरस संक्रमण से पैदा होता है। इसका संक्रमण मुख्य रूप से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फेको- मौखिक मार्ग के द्वारा फैलता है। यह पानी या मल पदार्थ, अस्वच्छ भोजन के साथ जल के संक्रमण से हो सकता है, यह एक गंभीर वायरल संक्रमण है। ज्यादातर लोग (लगभग 90% लोग) जब अपने मल बाहर निष्काषित करते हैं तो उनके मल वायरस से संक्रमित रहते हैं लेकिन वे व्यक्ति खुद बीमार नहीं रहते हैं। पोलियो का वायरस अंतर्ग्रहण से संप्रेषित होता है जो कि मानव-मल और गंदगी में पाया जाता है। जिन स्थानों पर मानव मल, पीने के पानी या कुओं / तालाब / जलाशयों के पानी को प्रदूषित करती है, वहां पर अधिक आयु के बच्चों और वयस्क व्यक्तियों को इस तरह के पानी में तैरने, नहाने या अंदर जाने देने से यह वायरस प्रभावित कर सकता है। यह प्रायः मल निष्कासन से मुंह के मार्ग से संप्रेषित होता है। यह वायरस नाक या मुंह से होकर प्रवेश करता है और फिर आंतों की ओर बढ़ता है और वहां से यह आंतों की कोशिकाओं में प्रवेश करके हजारों की संख्या के गुणकों में नये वायरस अणुओं में जन्म लेता है। यही मानव मल के साथ हफ्तों तक बाहर आते रहते हैं। इस प्रकार बार-बार आते-जाते रहने के चक्र के माध्यम से समग्र समुदाय को संक्रमण का खतरा होता है। आरएनए वायरस का यह समूह मुख्यतः जठरांत्र संक्रमित करता है और अकेले मानव में वास रोग का कारण बनता है। इसके अलावा दूषित भोजन खाने से भी यह वायरस शरीर में सिर तक पहुंच जाता है जिसके फलस्वरूप सिर की कोशिकायें नष्ट होने लगती हैं। गर्भवती महिला को यदि उचित प्रोटीन युक्त भोजन नहीं मिलता है, तो उस बच्चे को भी पोलियो हो सकता है।

जब इसका संक्रमण होता है तो 5-10% लोगों में इसके लक्षण उभरते हैं। अधिकांश रोगी सड़न रोकनेवाला मैनिंजाइटिस, हल्के बुखार, गले में ख़राश, पेट दर्द और उल्टी से पीड़ित होते हैं। संक्रमित लोगों में पोलियो के कारण लकवा कम से कम 1% में होता हैं।

पोलियो के लक्षण

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