हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! जो शास्त्रविहित कर्म करना कर्तव्य है- इसी भाव से आसक्ति और फल का त्याग करके किया जाता है – वही सात्त्विक त्याग माना गया है ।।9।।
A prescribed duty which is performed simply because it has to be performed, giving up attachment and fruit, that alone has been recognized as the Sattvika form of renunciation. (9)
अर्जुन = हे अर्जुन ; कार्यम् = करना कर्तव्य है ; इति = ऐसे (समझकर) ; एव = ही ; यत् = जो ; नियतम् = शास्त्रविधि से नियत किया हुआ कर्तव्य ; कर्म = कर्म ; सग्डम् = आसक्ति को ; च = और ; फलम् = फलको ; त्यक्त्वा = त्याग कर ; क्रियते = किया जाता है ; स: = वह ; एव = ही ; सात्त्विक: = सात्त्विक ; त्याग: = त्याग ; मत: = माना गया है ;