फ़क़ीर मोहन सेनापति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:41, 3 September 2011 by मेघा (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search
  • आधुनिक उड़िया साहित्य के जनक फकीर मोहन सेनापति का जन्म 1847 ई. में उड़ीसा के तट पर 'बालेश्वर नगर' में हुआ था।
  • उनके पिता एक संपन्न व्यापारी थे और फकीर मोहन उनकी एकमात्र संतान।
  • परन्तु वे डेढ़ वर्ष के थे, तभी उनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया।
  • उनकी संपूर्ण पैत्रिक संपत्ति अंग्रेजों ने हथिया ली और बालक को दर-दर की ठोकर खानी पड़ी।
  • शिक्षा भी आरंभिक स्तर से आगे नहीं बढ़ पाई।
  • परन्तु फकीर मोहन ने साहस नहीं छोड़ा। वे स्वाध्याय से त्रिविध विषयों का अपना ज्ञान बढ़ाते रहे।
  • फिर वे साहित्य रचना की ओर प्रवृत्त हुए।
  • उस समय तक उड़ीसा में पुस्तकें छापने का छापाखाना नहीं था।
  • फकीर मोहन ने पहला छापाखाना स्थापित किया और एक 'पत्रिका' का संपादन और प्रकाशन करने लगे।
  • अब उनकी योग्यता की ख्याति देशी रियासतों में भी फैली और कुछ ने उन्हें 'दीवान' के पद पर नियुक्त किया।
  • कुछ दरबारों में साहित्य-सेवा के कारण उन्हें उच्च स्थान प्राप्त हुआ।
  • फकीर मोहन सेनापति ने अनेक कहानियों और उपन्यासों की रचना की।
  • उनके दो उपन्यास ‘छह माण आठ गुंठ’ और ‘लछमा’ विशेष प्रसिद्ध हुए।
  • उन्होंने मूल संस्कृत से रामायण, महाभारत, उपनिषद, हरिवंश पुराण और गीता का उड़िया भाषा में अनुवाद किया।
  • वे आज भी उड़िया लेखकों के प्रेरणास्त्रोत माने जाते हैं।
  • 1918 ई. में उनका देहांत हो गया।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः