छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1 खण्ड-2

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  • देवासुर संग्राम के समय देव परस्पर विचार करके उद्गीथ 'ॐकार' की उपासना करते हैं और असुरों के पराभव की प्रार्थना करते हैं।
  • आसुरी शक्ति से बचने के लिए ॐकार साधना का विधान बताया गया है।
  • देवों की वाणी, उनके देखने व सुनने की शक्ति, मन की एकाग्रता, प्राण-शक्ति और अन्य ऋषियों की उपासना को असुर नष्ट कर डालते हैं।
  • वे बार-बार ॐकार की उपासना में विघ्न डालते रहते हैं।


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