तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली अनुवाक-5

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:20, 7 September 2011 by रेणु (talk | contribs) ('*तैत्तिरीयोपनिषद के [[तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य
  • इस अनुवाक में शरीर के 'विज्ञानमय कोश' का वर्णन है।
  • विज्ञान के द्वारा ही यज्ञों और कर्मों की वृद्धि होती है।
  • समस्त देवगण विज्ञान को ब्रह्म-रूप में मानकर उसकी उपासना करते हैं।
  • विज्ञानमय शरीर में 'आत्मा' ही ब्रह्म-रूप है।
  • 'प्रेम' उस विज्ञानमय शरीर का सिर है, 'आमोद' दाहिना पंख है, 'प्रमोद' बायां पंख है, 'आनन्द' मध्य भाग है और 'ब्रह्म' ही उसकी पूंछ, अर्थात आधार है।
  • उसे जानने वाला समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः