बकुलाही नदी

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बकुलाही नदी

भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के कई जिले बकुलाही नदी पावन तट पर बसे हुए है|

इतिहास

बकुलाही नदी अति प्राचीन वेद वर्णित नदी है|इस नदी का प्राचीन नाम 'बालकुनी' था,किन्तु बाद में परिवर्तित होकर बकुलाही हो गया|बकुलाही यह शब्द लोक भाषा अवधी से उद्धृत है|जनश्रुति के अनुसार बगुले की तरह टेढ़ी-मेढ़ी होने के कारण भी इसे बकुलाही कहा जाता है

उदगम स्थान

बकुलाही नदी उदगम का उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिला करे भरतपुर झील से हुआ है|वहां से चलते हुए यह नदी बेंती झील, मांझी झील और कालाकांकर झील से जलग्रहण करते हुए बड़ी नदी का स्वरूप प्राप्त करती है।मुख्यालय के दक्षिण में स्थित मान्धाता ब्लाक को हरा-भरा करते हुए यह नदी आगे जाकर खजुरनी गांव के पास सई नदी में मिल जाती है।

वेद वर्णन

बकुलाही नदी का संक्षिप्त वर्णन वेद पुराण तथा कई धर्मग्रंथो में है| महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित वाल्मीकि रामायण में बकुलाही नदी का उल्लेख किया गया है।वाल्मीकि रामायण में बकुलाही नदी का जिक्र इस प्रकार है, जब भगवान राम के वन से वापस आने की प्रतीक्षा में व्याकुल भरत के पास हनुमान जी राम का संदेश लेकर पहुंचते हैं। हनुमान जी न से भरत जी पूछते हैं कि मार्ग में उन्होंने क्या-क्या देखा। इस पर हनुमान जी का उत्तर होता है- सो अपश्यत राम तीर्थम् च नदी बालकुनी तथा बरूठी,गोमती चैव भीमशालम् वनम् तथा।

वही इस नदी का वर्णन श्री भयहरणनाथ चालीसा के पंक्ति क्रमांक २७ में इन शब्दों में है-

बालकुनी इक सरिता पावन| उत्तरमुखी पुनीत सुहावन||


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