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भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013

अहम का वहम

              हमारे आस-पास अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं जिनमें कोई न कोई विशेष प्रतिभा होती है लेकिन वे सफल नहीं होते और भाग्य को दोष देते मिलते हैं। जबकि वे यह नहीं जान पाते कि उनकी सफलता का रास्ता रोकने के लिए अहंकार हर समय उनके मस्तिष्क पर शासन करता है। प्रतिभा को निखारने के लिए हमें अपने ऊपर से ध्यान हटाना पड़ता है और उसके बाद ही हमारा ध्यान प्रतिभा को निखारने में लगता है। कोई जन्म से 'रहमान' या 'गुलज़ार' नहीं होता ...पूरा पढ़ें

पिछले लेख यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी' · उसके सुख का दु:ख