उपनाम

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'उपनाम' का शाब्दिक अर्थ 'गौण नाम' या 'कम महत्त्वपूर्ण नाम' है, परन्तु सामान्य व्यवहार में इसका अर्थ व्यक्ति के मूल नाम से भिन्न अन्य प्रचलित या प्रसिद्ध नाम से होता है, जैसे 'छोटेलाल' का छुटकू' या 'भगत जी' इत्यादि। यदि कोई साहित्यकार अपने मूल नाम से भिन्न कोई नाम अपने नाम के साथ या उसके स्थान पर अपनी रचनाओं या रचना संग्रहों में देते हैं, तब वह उसका उपनाम होता है। साहित्यकार अपने लिए उपनाम स्वयं चुनता है, जबकि मूल नाम माता-पिता आदि की देन होता है। साहित्यिक उपनाम मूल नाम का अंशमात्र भी हो सकता है, जैसे- तुलसीदास का 'तुलसी' और सूरदास का 'सूर'। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि साहित्यकारों के उपनाम प्राय: उनके मूल नामों की तुलना में अधिक प्रसिद्ध और अधिक दीर्घजीवी होते हैं।

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