गोरख प्रसाद

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:59, 21 July 2014 by गोविन्द राम (talk | contribs) (''''गोरख प्रसाद''' (सन्‌ 1896-1961) गणितज्ञ, हिंदी विश्वकोश के स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

गोरख प्रसाद (सन्‌ 1896-1961) गणितज्ञ, हिंदी विश्वकोश के संपादक तथा हिंदी में वैज्ञानिक साहित्य के लब्धप्रतिष्ठ और बहुप्रतिभ लेखक थे।

जीवन परिचय

गोरख प्रसाद का जन्म 28 मार्च, 1896 ई. को गोरखपुर में हुआ था। सन्‌ 1918 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इन्होंने एम.एस-सी. परीक्षा उत्तीर्ण की। ये डॉ. गणेश प्रसाद के प्रिय शिष्य थे। उनके साथ इन्होंने सन्‌ 1920 तक अनुसंधान कार्य किया। महामना पं. मदनमोहन मालवीय जी की प्रेरणा से ऐडिनबरा गए और सन्‌ 1924 में गणित की गवेषणाओं पर वहाँ के विश्वविद्यालय से डी.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की। 21 जुलाई, 1925 ई. से प्रयाग विश्वविद्यालय के गणित विभाग में रीडर के पद पर कार्य किया। वहाँ से 20 दिसंबर, 1957 ई. को पदमुक्त होकर नागरीप्रचारिणी सभा द्वारा संयोजित हिंदी विश्वकोश का संपादन भार ग्रहण किया। सन्‌ 1952 से 1959 तक विज्ञान परिषद् (प्रयाग) के उपसभापति और सन्‌ 1960 से मृत्युपर्यंत उसके सभापति रहे। हिंदी साहित्य सम्मेलन के परीक्षामंत्री भी कई वर्ष रहे। काशी में हिंदी सहित्य सम्मेलन के 28वें अधिवेशन में विज्ञान परिषद् के अध्यक्ष थे। बनारस मैथमैटिकल सोसायटी के भी अध्यक्ष था।

पुस्तकें

  • फलसंरक्षण (1937)
  • उपयोगी नुस्खे (1939)
  • तर्कीबें और हुनर (1939)
  • लकड़ी पर पालिश (1940)
  • घरेलू डाक्टर (1940)
  • तैरना (1944)
  • सरल विज्ञानसागर (1946)

ज्योतिर्विद एवं खगोल शास्त्री

ज्योतिष और खगोल के ये प्रकांड विद्वान्‌ थे। इन पर इनकी नीहारिका (1954), आकाश की सैर (1936), सूर्य (1959), सूर्यसारिणी (1948), चंद्रसारिणी (1945) और भारतीय ज्योतिष का इतिहास (1956) पुस्तकें हैं। अंग्रेजी में गणित पर बी. एस-सी. स्तर के कई पाठ्य ग्रंथ हैं, जिनमें अवकलन गणित (Differential Calculus), तथा समाकलन गणित (Integral Calculus) हैं। इनका संबंध अनेक साहित्यिक एवं वैज्ञानिक संस्थाओं से था।

सम्मान

हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा 1931 ई. में 'फोटोग्राफी' ग्रंथ पर मंगलाप्रसाद पारितोषिक मिला। संवत्‌ 1989 (सन्‌ 1932-33 ई.) में काशी नागरीप्रचारिणी सभा से उनकी पुस्तक 'सौर परिवार' पर डॉ. छन्नूलाल पुरस्कार, ग्रीब्ज़ पदक तथा रेडिचे पदक मिले।

निधन

5 मई, 1961 ई. को वाराणसी में अपने नौकर की प्राणरक्षा के प्रयत्न में इनकी भी जलसमाधि हो गई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः