चैतसिक शील बौद्ध निकाय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:08, 21 August 2010 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "Category:दर्शन" to "")
Jump to navigation Jump to search

बौद्ध धर्म के अठारह बौद्ध निकायों में चैतसिक शील की यह परिभाषा है:-
जीवहिंसा आदि दुष्टकर्मों से विरत रहने वाले पुरुष की वह विरति 'चैतसिक शील' है अर्थात दुष्कर्मों के करने से रोकने वाली शक्त्ति 'विरति है। यह विरति भी एक प्रकार का 'शील' है, अत: इसे 'विरति शील' भी कहते हैं। अथवा लोभ, द्वेष मोह आदि का प्रहाण करने वाले पुरुष के जो अलोभ, अद्वेष, अमोह हैं, वे 'चैतसिक शील' हैं अर्थात जिस पुरुष की सन्तान में लोभ, मोह न होंगे वह काय दुच्चरित आदि दुष्कर्मों सें विरत रहेगा। अत: इन्हें (अलोभ आदि को) 'विरति शील' कहते हैं।

सम्बंधित लिंक

Template:बौद्ध दर्शन2

Template:बौद्ध दर्शन

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः