एकहि साधै सब सधै -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:46, 10 February 2016 by गोविन्द राम (talk | contribs) ('<div class="bgrahimdv"> एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।<br /> रहिमन म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥

अर्थ

एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है। वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग-अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है।


left|50px|link=माली आवत देख के -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन वे नर मर गये -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः