रहिमन चुप हो बैठिये -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:06, 10 February 2016 by गोविन्द राम (talk | contribs) ('<div class="bgrahimdv"> रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।<br /> ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥

अर्थ

जब बुरे दिन आए हों तो चुप ही बैठना चाहिए, क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं तब बात बनते देर नहीं लगती।


left|50px|link=रहिमन निज मन की व्यथा -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=मन मोती अरु दूध रस -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः