कैसे निबहै निबल जन -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:01, 13 February 2016 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) ('<div class="bgrahimdv"> कैसे निबहै निबल जन, करि सबलन सों बैर ।<br /> ‘र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

कैसे निबहै निबल जन, करि सबलन सों बैर ।
‘रहिमन’ बसि सागर विषे, करत मगर सों बैर ॥

अर्थ

सहजोर के साथ बैर बिसाहने से कमजोर का कैसे निबाह होगा ? सबल दबोच लेगा निर्बल को। समुद्र के किनारे रहकर यह तो मगर से बैर बाँधना हुआ ।


left|50px|link=काह कामरी पामड़ी -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=कोउ रहीम जहिं काहुके -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः