रहिमन रिस को छाँड़ि के -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:43, 26 February 2016 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) ('<div class="bgrahimdv"> ‘रहिमन’ रिस को छाँड़ि के, करौ गरीबी भेस ।<br /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

‘रहिमन’ रिस को छाँड़ि के, करौ गरीबी भेस ।
मीठो बोलो, नै चलो, सबै तुम्हारी देस ॥

अर्थ

क्रोध को छोड़ दो और गरीबों की रहनी रहो। मीठे वचन बोलो और नम्रता से चलो, अकड़कर नहीं। फिर तो सारा ही देश तुम्हारा है।


left|50px|link=रहिमन राज सराहिए -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन लाख भली करो -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः