एकहि साधै सब सधै -रहीम
एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥
- अर्थ
एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है। वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग-अलग सींचने की ज़रूरत नहीं होती है।
left|50px|link=माली आवत देख के -रहीम|पीछे जाएँ | रहीम के दोहे | right|50px|link=रहिमन वे नर मर गये -रहीम|आगे जाएँ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख