अतिशय:

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अतिशयः [अति+शी+अच्]

1. बहुत ज्यादा, श्रेष्ठ। पुल्लिंग आधिक्य, प्रमुखता, उत्कृष्टता; वीर्य° रघुवंश 3/62; तस्मिन् विधानातिशये विधातुः- रघुवंश 6/11
2. श्रेष्ठता (गुण, पद और परिमाण आदि की दृष्टि से); समास में प्रायः विशेषणों के साथ प्रयुक्त होने पर 'अधिकता के साथ' अर्थ होता है- आसीदतिशयप्रेक्ष्यः- रघुवंश 17/25; (विशेषण) श्रेष्ठ, प्रमुख, अत्यधिक, बहुत बड़ा, बहुल।


सम.-उक्तिः (स्त्रीलिंग)

1. बढ़ाकर या अतिशयोक्तिपूर्ण ढंग से कहे हुए वचन, अतिरंजना
2. अलंकार जिसके सा. द. कार ने 5 भेद तथा काव्य प्रकाशकार ने 4 भेद माने हैं।[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 23 |

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