आगस्‌

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आगस्‌ (नपुंसक लिंग) [इण+असुन्‌, आगादेश:]

1. दोष, अपराध, उल्लंघन-सहिष्ये शतमागांसि सूनोस्त इति यत्त्वया[1] द्वौ रिपू मम मतौ समागसौ[2], कृतागाः-[3]
2. पाप


समस्त पद-कृत (विशेषण) अपराध करने वाला, अपराधी, जुर्म करने वाला-अभ्यर्णमागस्कृतम- स्पृशद्भिः[4][5]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. -शि. 2/108
  2. -रघु. 11/74
  3. मुद्रा. 3/11
  4. - रघु. 2-32
  5. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 147 |

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