नेहरू जी के प्रेरक प्रसंग

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[[चित्र:Jawahar-Lal-Nehru.jpg|thumb|जवाहर लाल नेहरू]]

  • बात उस समय की है जब जवाहर लाल नेहरू किशोर अवस्था के थे। पिता मोतीलाल नेहरू उन दिनों अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने की मुहिम में शामिल थे। इसका असर बालक जवाहर पर भी पड़ा। मोतीलाल ने पिंजरे में तोता पाल रखा था। एक दिन जवाहर ने तोते को पिंजरे से आजाद कर दिया। मोतीलाल को तोता बहुत प्रिय था। उसकी देखभाल एक नौकर करता था। नौकर ने यह बात मोतीलाल को बता दी। मोतीलाल ने जवाहर से पूछा, 'तुमने तोता क्यों उड़ा दिया। जवाहर ने कहा, 'पिताजी पूरे देश की जनता आजादी चाह रहीं है। तोता भी आजादी चाह रहा था, सो मैंने उसे आजाद कर दिया।' मोतीलाल जवाहर का मुंह देखते रह गये।
  • जवाहर लाल नेहरू अपने कुछ खास सहयोगियों के साथ एक दिन ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर रहे थे। एक खेत में उन्होंने चने की फसल देखी। अध पके चने देखकर सबके मुंह में पानी आ गया और कच्चे चने खाने के लिये कार रुकवाई। सब लोग खेत में घुस गये। नेहरू ने चने की केवल फलियां ही फलियां तोड़ी। कुछ लोगों ने पौधे ही उखाड़ लिए। इस पर नेहरू ने उन्हें डांटा, 'पौधों में कुछ फलियां अभी लगी ही हैं जिनमें दाना नहीं है। तुम केवल दाने वाली फलियां ही तोड़ो जिनकी तुम्हें जरुरत हैं। पौधे उखाड़ लेने से नुकसान हो रहा है। ऐसा तो जानवर करते हैं।
  • भाखड़ा बांध से सिंचाई योजना का उद्घाटन होना था। नेहरू को योजना के व्यवस्थापकों ने चांदी का फावड़ा उदघाटन करने के लिए पकड़ाया। इस पर नेहरू झुंझला गये। उन्होंने पास में पड़ा लोहें का फावड़ा उठाया और उसे जमीन पर चलाते हुए कहा, 'भारत का किसान क्या चांदी के फावड़े से काम करता है।
  • महाराष्ट्र में अकाल पड़ा तो वहां भूख से तमाम मौतें हुईं। नेहरू अकालग्रस्त क्षेत्रों के मुआयने के लिए गये। एक स्थान पर लोगों की भीड़ में से नन्हें ग्रामीण बच्चे को हाथों में ऊपर उठा लिया और उसकी ठोड़ी पकड़ कर सिर ऊंचा किया। लोग नेहरू का आशय समझ गये कि मुसीबत में मनोबल बनाए रखकर साहस के साथ मुकाबला करना चाहिए।
  • एक मेले से नेहरू की कार गुजर रही थी और सुरक्षाबल लोगों को हटाकर कार के लिए रास्ता बना रहें थे। भीड़ में से एक बुढ़िया ने चिल्लाकर कहा, 'ओ नेहरू तू इत्ता बड़ा हो गया कि लोग तुझसे मिल नहीं सकते।' नेहरू कार से उतर पड़े, बुढ़ियां के पास हाथ जोड़कर हुए गये और बोले, 'कहां बड़ा हो गया मां, बड़ा हो जाता तो तू मुझसे ऐसे बोल पाती। फिर उन्होंने उसकी परेशानी पूछी। उसने अपनी फटेहाली बताई तो नेहरू ने अफसरों को सख्त हिदायत दी कि उसके लिए आर्थिक सहायता का इंतजाम तुरंत किया जाए।
  • एक कार्यक्रम में एक छात्र ने उनसे आटोग्राफ लेने के लिए अपनी कापी उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा, 'इसमें सिग्नेचर कर दीजिए। 'नेहरू ने उसमें अपने दस्तख्त अंग्रेजी में कर दिए। छात्र को पता था कि नेहरू आमतौर पर हिंदी में हस्ताक्षर करते हैं। उसने पूछ लिया, 'आप तो हिंदी में हस्ताक्षर करते हैं। फिर मेरी कापी में आपने अंग्रेजी में किए, ऐसा क्यों। नेहरू मुस्कराते हुए बोले, 'भाई, तुमने सिग्नेचर करने को बोला था, हस्ताक्षर करने को नहीं।'


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