प्रयोग:गोविन्द 5
हिन्दी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती। चन्द्रबली पांडेय |
है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। |
जिस भाषा में तुलसीदास जैसे कवि ने कविता की हो वह अवश्य ही पवित्र है और उसके सामने कोई भाषा नहीं ठहर सकती। महात्मा गाँधी |
हिन्दी भारतवर्ष के हृदय-देश स्थित करोड़ों नर-नारियों के हृदय और मस्तिष्क को खुराक देने वाली भाषा है। हजारीप्रसाद द्विवेदी |
हिन्दी को गंगा नहीं बल्कि समुद्र बनना होगा। विनोबा भावे |
हिन्दी के विरोध का कोई भी आन्दोलन राष्ट्र की प्रगति में बाधक है। सुभाष चन्द्र बसु |
हिन्दी को संस्कृत से विच्छिन्न करके देखने वाले उसकी अधिकांश महिमा से अपरिचित हैं। हजारीप्रसाद द्विवेदी |