Difference between revisions of "अम्बिका चरण मज़ूमदार"

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अम्बिका चरण मज़ूमदार का जन्म 1850 ई. में पूर्वी [[बंगाल]] के फरीदपुर ज़िले में हुआ था। अम्बिका चरण मज़ूमदार कांग्रेस के ऐतिहासिक लखनऊ अधिवेशन ([[1916]]) के अध्यक्ष थे। उन्होंने प्रेसिडेन्सी कॉलेज कोलकाता से एम.ए. और क़ानून की डिग्री ली तथा कुछ समय तक अपने ही ज़िले में वकालत की।
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अम्बिका चरण मज़ूमदार का जन्म 1850 ई. में पूर्वी [[बंगाल]] के फरीदपुर ज़िले में हुआ था। अम्बिका चरण मज़ूमदार कांग्रेस के ऐतिहासिक '[[कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ|लखनऊ अधिवेशन]]' ([[1916]]) के अध्यक्ष थे। उन्होंने प्रेसिडेन्सी कॉलेज कोलकाता से एम.ए. और क़ानून की डिग्री ली तथा कुछ समय तक अपने ही ज़िले में वकालत की।
 
==सार्वजनिक कार्यों में रुचि==
 
==सार्वजनिक कार्यों में रुचि==
 
सार्वजनिक कार्यों में श्री मज़ूमदार की आरम्भ से ही रुचि थी। अत: [[कोलकाता]] में हुए [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के द्वितीय अधिवेशन ([[1886]]) में वे सम्मिलित हुए। उन पर प्रसिद्ध नेता [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] के सम्पर्क का भी गहरा प्रभाव पड़ा और उनके साथ [[1905]] के बंग-भंग का उन्होंने आगे बढ़कर विरोध किया। वे बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और कांग्रेस के हर अधिवेशन में आगे बढ़कर भाग लेते रहे।
 
सार्वजनिक कार्यों में श्री मज़ूमदार की आरम्भ से ही रुचि थी। अत: [[कोलकाता]] में हुए [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के द्वितीय अधिवेशन ([[1886]]) में वे सम्मिलित हुए। उन पर प्रसिद्ध नेता [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] के सम्पर्क का भी गहरा प्रभाव पड़ा और उनके साथ [[1905]] के बंग-भंग का उन्होंने आगे बढ़कर विरोध किया। वे बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और कांग्रेस के हर अधिवेशन में आगे बढ़कर भाग लेते रहे।
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अम्बिका चरण मज़ूमदार 1916 की [[लखनऊ]] कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। इस कांग्रेस की दो मुख्य विशेषताएँ थीं। [[लोकमान्य तिलक]] के जिस नरम दल के लिए [[1907]] की [[सूरत]] कांग्रेस ने अपने द्वार बन्द कर दिए थे, लखनऊ में पूरी कांग्रेस उसके प्रभाव में आ गई। इसी अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता भी हुआ था। अंबिका चरण मज़ूमदार नरम विचारों के राजनीतिज्ञ थे। गोपाल कृष्ण गोखले से उनकी मैत्री थी। वे ‘लिबरल फ़ेडरेशन’ के गठन में भी सहायक बने। वे उच्च कोटि के वक्ता थे और उनकी गणना अपने समय के प्रमुख नेताओं में होती थी।
 
अम्बिका चरण मज़ूमदार 1916 की [[लखनऊ]] कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। इस कांग्रेस की दो मुख्य विशेषताएँ थीं। [[लोकमान्य तिलक]] के जिस नरम दल के लिए [[1907]] की [[सूरत]] कांग्रेस ने अपने द्वार बन्द कर दिए थे, लखनऊ में पूरी कांग्रेस उसके प्रभाव में आ गई। इसी अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता भी हुआ था। अंबिका चरण मज़ूमदार नरम विचारों के राजनीतिज्ञ थे। गोपाल कृष्ण गोखले से उनकी मैत्री थी। वे ‘लिबरल फ़ेडरेशन’ के गठन में भी सहायक बने। वे उच्च कोटि के वक्ता थे और उनकी गणना अपने समय के प्रमुख नेताओं में होती थी।
  
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Revision as of 07:44, 22 April 2012

ambika charan mazoomadar ka janm 1850 ee. mean poorvi bangal ke pharidapur zile mean hua tha. ambika charan mazoomadar kaangres ke aitihasik 'lakhanoo adhiveshan' (1916) ke adhyaksh the. unhoanne presidensi k aaulej kolakata se em.e. aur qanoon ki digri li tatha kuchh samay tak apane hi zile mean vakalat ki.

sarvajanik karyoan mean ruchi

sarvajanik karyoan mean shri mazoomadar ki arambh se hi ruchi thi. at: kolakata mean hue bharatiy rashtriy kaangres ke dvitiy adhiveshan (1886) mean ve sammilit hue. un par prasiddh neta surendranath banarji ke sampark ka bhi gahara prabhav p da aur unake sath 1905 ke bang-bhang ka unhoanne age badhakar virodh kiya. ve bangal pradesh kaangres kameti ke adhyaksh rahe aur kaangres ke har adhiveshan mean age badhakar bhag lete rahe.

pramukh neta

ambika charan mazoomadar 1916 ki lakhanoo kaangres ke adhyaksh chune ge. is kaangres ki do mukhy visheshataean thian. lokamany tilak ke jis naram dal ke lie 1907 ki soorat kaangres ne apane dvar band kar die the, lakhanoo mean poori kaangres usake prabhav mean a gee. isi adhiveshan mean kaangres aur muslim lig ke bich samajhauta bhi hua tha. aanbika charan mazoomadar naram vicharoan ke rajanitijn the. gopal krishna gokhale se unaki maitri thi. ve ‘libaral fedareshan’ ke gathan mean bhi sahayak bane. ve uchch koti ke vakta the aur unaki ganana apane samay ke pramukh netaoan mean hoti thi.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh