Difference between revisions of "कामराज"

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कुमारस्वामी कामराज अथवा के. कामराज (जन्म - [[15 जुलाई]] [[1903]], विरूदुनगर, [[भारत]]; मृत्यु - [[2 अक्टूबर]] [[1975]] मद्रास {वर्तमान [[चेन्नई]]}) दक्षिण भारत से राजनेता थे, जो 'नाडर जाति' से उठकर [[मद्रास]], बाद में [[तमिलनाडु]] के मुख्यमंत्री और 'कांग्रेस पार्टी' के अध्यक्ष बने। [[तमिलनाडु]] की राजनीति में बिल्कुल निचले स्तर से अपना राजनीतिक जीवन शुरू कर देश के दो [[प्रधानमंत्री]] चुनने में महत्वूपर्ण भूमिका निभाने के कारण '''किंगमेकर''' कहे जाने वाले के. कामराज साठ के दशक में 'कांग्रेस संगठन' में सुधार के लिए बनाए गए '''कामराज प्लान''' के कारण विख्यात हुए।
 
==परिचय==
 
{{tocright}}
 
कुमारस्वामी कामराज जो के. कामराज के नाम से अधिक जाने जाते थे, का जन्म 15 जुलाई 1903 को तमिलनाडु के 'विरूधुनगर' में हुआ था। उनका मूल नाम 'कामाक्षी कुमारस्वामी नादेर' था, लेकिन बाद में वह के. कामराज के नाम से प्रसिद्ध हुए। कामराज के पिता व्यापारी थे, किंतु उनकी असमय मृत्यु ने उनके परिवार को परेशानी में डाल दिया। भारतीय राजनीति में वे 'किंग मेकर' के रूप में जाने जाते थे। 'भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन' में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही। [[भारत]] के प्रथम प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू]] के वह अत्यधिक निकट रहे।
 
==राजनीतिक जीवन==
 
कामराज अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। जॉर्ज जोसेफ के नेतृत्व वाले 'वैकम सत्याग्रह' ने उन्हें आकर्षित किया। 16 वर्ष की आयु में ही कामराज [[कांग्रेस]] में शामिल हो गए। आज़ादी से पहले ही कामराज कई बार गिरफ्तार हुए और जेल गये। जेल में रहते हुए ही उन्हें 'म्युनिसिपल काउंसिल' का अध्यक्ष चुन लिया गया, किंतु रिहाई के नौ महीने बाद ही उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया और कहा कि किसी को भी तब तक कोई पद स्वीकार नहीं करना चाहिए, जब तक वह उसके साथ पूरा न्याय न कर सके।
 
==सांसद==
 
15 साल की आयु में कामराज ने अपने गृह ज़िले में कांग्रेस पार्टी के लिए धन एकत्र करने का अभियान चलाकर राजनीति में प्रवेश किया। [[1937]] में उन्हें 'मद्रास विधानसभा' के लिए चुन लिया गया और [[1952]] के आम चुनाव में उन्होंने [[लोकसभा]] की सीट जीती। [[1954]] से [[1963]] तक वह मद्रास के [[मुख्यमंत्री]] रहे और 'कामराज योजना' के अंतर्गत उन्होंने पद त्याग दिया, जिसमें निचले स्तर पर 'कांग्रेस पार्टी के पुनर्गठन' के लिए अपने को समर्पित करने के लिए वरिष्ठ राष्ट्रीय एवं राज्य पदाधिकारियों के स्वैच्छिक त्यागपत्र का प्रावधान था। इसके तुरंत बाद ही उन्हें पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने [[1964]] में [[लाल बहादुर शास्त्री]] को और [[1966]] में [[इंदिरा गाँधी]] को [[प्रधानमंत्री]] बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई। दोनों बार दक्षिणपंथी [[मोरारजी देसाई]] (जनता पार्टी) को हराया, किंतु [[1967]] में वह अपने गृहनगर में हार गए। इसके तुरंत बाद इंदिरा गाँधी उन्हें पार्टी के नेतृत्व से हटाने में सफल रहीं। [[1969]] में वह पुराने नेताओं के गुट के सदस्य रहे, जिसने इंदिरा गाँधी को सत्ता से हटाने का प्रयास किया, लेकिन पार्टी में विभाजन हो गया, जिसमें कामराज और उनके सहयोगी एक छोटे से विभाजित गुट के साथ अलग-थलग हो गए।
 
 
 
==राजनीतिक गुरु==
 
कामराज के राजनीतिक गुरु सत्यमूर्ति थे। उन्होंने कामराज में एक निष्ठावान और कुशल संगठनकर्ता देखा। डा. सुदर्शन कहते हैं कि 'कामराज में गज़ब का राजनीतिक कौशल था। उनकी छवि अच्छी थी और उन्होंने सदैव पड़ोसी राज्यों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे।
 
==कामराज योजना==
 
प्रथम प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू]] के अंतरंग और [[तमिलनाडु]] राज्य के तीन बार [[मुख्यमंत्री]] रहे कामराज को कांग्रेस में 'किंगमेकर' के नाम से जाना जाता था। राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में नेहरू ही कामराज को लेकर आए थे। कामराज ने साठ के दशक के प्रारम्भ में महसूस किया कि कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती जा रही है। उन्होंने नेहरू को एक योजना सुझाई और स्वयं [[2 अक्टूबर]] [[1963]] को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। उनका विचार था कि पार्टी के बड़े नेता सरकार में अपने पदों से इस्तीफा दे दें और अपनी ऊर्जा कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए लगाएं। उनकी इस योजना में उन्होंने स्वयं भी त्यागपत्र दिया और [[लाल बहादुर शास्त्री]], [[जगजीवन राम]], [[मोरारजी देसाई]] तथा [[एस. के. पाटिल]] जैसे नेताओं ने भी सरकारी पद त्याग दिए। इसी योजना को 'कामराज प्लान' के नाम से जाना जाता है।
 
==किंगमेकर==
 
माना जाता है कि 'कामराज योजना' के कारण ही कामराज केंद्र की राजनीति में इतने सशक्त हो गए कि [[जवाहरलाल नेहरू|नेहरू]] जी के निधन के बाद शास्त्री और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में उनकी भूमिका 'किंगमेकर' की ही रही। वह तीन बार 'कांग्रेस अध्यक्ष' भी रहे। दक्षिण भारत की राजनीति में कामराज एक ऐसे नेता थे, जिन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।
 
==तमिलनाडु का मुख्यमंत्री पद==
 
आज़ादी के बाद [[13 अप्रैल]] [[1954]] को कामराज ने अनिच्छापूर्वक तमिलनाडु का मुख्यमंत्री पद स्वीकार किया और प्रदेश को एक ऐसा नेता मिल गया जो उनके लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाने वाला था। कामराज ने उनके नेतृत्व को चुनौती देते रहे सी. सुब्रह्मण्यम और एम. भक्तवात्सल्यम को कैबिनेट में शामिल कर सबको चौंका दिया।
 
==एक कद्दावर नेता==
 
[[चित्र:Statue of Kamraj.jpg|thumb|300px|के. कामराज की प्रतिमा, [[चेन्नई]]]]
 
कामराज लगातार तीन बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने प्रदेश की साक्षरता दर, जो कभी सात प्रतिशत हुआ करती थी, को बढ़ाकर 37 प्रतिशत तक पहुंचा दिया। कामराज के लिए [[राज्यसभा]] सांसद डा. ई. एम. सुदर्शन नाचियप्पन ने कहा कि 'कामराज एक कद्दावर नेता थे। तमिलनाडु में हम उनकी नेतृत्व क्षमता और उनके कामों की बराबरी किसी और से नहीं कर सकते।' निम्न वर्ग का होने के कारण कामराज निचली जातियों और अछूत मतदाताओं को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने में सफल रहे। उन्होंने अपने राज्य के लगभग सभी गाँवों में जाकर व्यक्तिगत संपर्क करने के अपने दृढ़ विश्वास को एक से अधिक बार रेखाकिंत किया।
 
==नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा==
 
कामराज ने आज़ादी के बाद जन्मी तमिलनाडु की पीढ़ी के लिए बुनियादी संरचना मज़बूत की। कामराज ने शिक्षा क्षेत्र के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय किए। उन्होंने व्यवस्था की कि कोई भी गांव बिना प्राथमिक स्कूल के न रहे। उन्होंने निरक्षरता हटाने का प्रण किया और कक्षा 11वीं तक नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा लागू कर दी। वह स्कूलों में गरीब बच्चों को 'मध्याह्न भोजन' देने की योजना लेकर आए। डा. सुदर्शन कहते हैं कि शिक्षा क्षेत्र में बुनियादी काम के अलावा तमिलनाडु को उन्होंने एक और उपहार दिया था, वह स्कूली तथा उच्च शिक्षा में [[तमिल भाषा]] को एक माध्यम के तौर पर लेकर आए। उन्हीं के कार्यकाल के बाद से तमिलनाडु में बच्चे तमिल में शिक्षा हासिल कर सके।
 
;भारत रत्न
 
कामराज को दो पूर्व प्रधानमंत्रियों लालबहादुर शास्त्री के साथ 1964 तथा इंदिरा गांधी के साथ 1966 में काम करने का अवसर मिला। उनकी पहचान 'दक्षिण के गांधी' के रूप में थी। सादगी प्रिय कामराज को [[1976]] में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान [[भारत रत्न]] प्रदान किया गया।
 
;निधन
 
दो अक्टूबर 1975 को कामराज का निधन हो गया था।
 
 
 
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{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
*[http://india.gov.in/myindia/bharatratna_awards_list1.php भारत रत्न सम्मानित व्यक्तित्व सूची, भारत सरकार]
 
*[http://india.gov.in/myindia/bharatratna_awards.php भारत रत्न, भारत सरकार]
 
*[http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/2714615.cms Those who said no to top awards, Times Of India]
 
==संबंधित लेख==
 
{{भारत रत्‍न}}{{भारत रत्‍न2}}
 
[[Category:भारत_रत्न_सम्मान]]
 
[[Category:राजनेता]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:तमिलनाडु के मुख्यमंत्री]]
 
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
 
[[Category:लोकसभा सांसद]]
 
[[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस अध्यक्ष]]
 
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Latest revision as of 12:35, 15 June 2013