Difference between revisions of "नौगम्य"

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'''नौगम्य''' (नौ=पानी + गमन=जाना) की स्थिति उस स्थिति को कहते है जिसमें किसी जलनिकाय (नदी, नहर, या [[झील]]) की गहराई, चौड़ाई और इसमें बहने वाले [[जल]] की गति इतनी हो कि कोई जलयान इसे आसानी से पार कर जाये। मार्ग में आने वाली बाधायें जैसे कि चट्टानें और पेड़ ऐसे हों कि उनसे आसानी से बचकर निकला जा सके, साथ ही पुलों की निकासी भी पर्याप्त होनी चाहिए। पुल इतने ऊँचे हों कि पोत इनके नीचे से आसानी से निकल जाये। पानी की उच्च गति, और आमतौर पर [[शीत ऋतु]] में जमने वाली बर्फ किसी जलमार्ग को अनौगम्य बना सकती है।
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'''नौगम्य''' किसी जलनिकाय में जल की गति की एक स्थिति है जिसमें किसी नदी, नहर, या [[झील]] की गहराई, चौड़ाई और इसमें बहने वाले [[जल]] की गति इतनी हो कि कोई जलयान इसे आसानी से पार कर जाये। मार्ग में आने वाली बाधायें जैसे कि चट्टानें और पेड़ ऐसे हों कि उनसे आसानी से बचकर निकला जा सके, साथ ही पुलों की निकासी भी पर्याप्त होनी चाहिए। पुल इतने ऊँचे हों कि पोत इनके नीचे से आसानी से निकल जाये। पानी की उच्च गति, और आमतौर पर [[शीत ऋतु]] में जमने वाली बर्फ किसी जलमार्ग को अनौगम्य बना सकती है।
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==शब्दार्थ==
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नौगम्य = नौ (पानी) + गमन (जाना) अर्थात जल का गति या जल का बहाव।
 
==नौगम्यता==  
 
==नौगम्यता==  
 
नौगम्यता संदर्भ पर निर्भर करती है:- एक छोटी नदी एक छोटी नाव के लिए नौगम्य हो सकती है पर एक क्रूज जहाज के लिए यह अनौगम्य होती है। उथली नदियों को जलपाश, जो पानी की गहराई बढ़ाने के साथ इसे विनियमित भी करता है, की संस्थापना के द्वारा नौगम्य बनाया जा सकता है। नदियों को नौगम्य बनाने की एक दूसरी विधि निकर्षण है।
 
नौगम्यता संदर्भ पर निर्भर करती है:- एक छोटी नदी एक छोटी नाव के लिए नौगम्य हो सकती है पर एक क्रूज जहाज के लिए यह अनौगम्य होती है। उथली नदियों को जलपाश, जो पानी की गहराई बढ़ाने के साथ इसे विनियमित भी करता है, की संस्थापना के द्वारा नौगम्य बनाया जा सकता है। नदियों को नौगम्य बनाने की एक दूसरी विधि निकर्षण है।

Revision as of 13:59, 9 January 2014

naugamy kisi jalanikay mean jal ki gati ki ek sthiti hai jisamean kisi nadi, nahar, ya jhil ki gaharaee, chau daee aur isamean bahane vale jal ki gati itani ho ki koee jalayan ise asani se par kar jaye. marg mean ane vali badhayean jaise ki chattanean aur pe d aise hoan ki unase asani se bachakar nikala ja sake, sath hi puloan ki nikasi bhi paryapt honi chahie. pul itane ooanche hoan ki pot inake niche se asani se nikal jaye. pani ki uchch gati, aur amataur par shit rritu mean jamane vali barph kisi jalamarg ko anaugamy bana sakati hai.

shabdarth

naugamy = nau (pani) + gaman (jana) arthat jal ka gati ya jal ka bahav.

naugamyata

naugamyata sandarbh par nirbhar karati hai:- ek chhoti nadi ek chhoti nav ke lie naugamy ho sakati hai par ek krooj jahaj ke lie yah anaugamy hoti hai. uthali nadiyoan ko jalapash, jo pani ki gaharaee badhane ke sath ise viniyamit bhi karata hai, ki sansthapana ke dvara naugamy banaya ja sakata hai. nadiyoan ko naugamy banane ki ek doosari vidhi nikarshan hai.



panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh


sanbandhit lekh